Class – 10 | Term – 2

Social Science Hindi Medium

भारत में राष्ट्रवाद

(HISTORY)

Important Questions and Answers

 Multiple Choice Questions


प्रश्न 1. गाँधीजी ने गुजरात के खेड़ा जिले के किसानों के समर्थन में किस वर्ष सत्याग्रह को अपनाया था

(a) वर्ष 1915 में

(b) वर्ष 1916 में 

(c) वर्ष 1917 में

(d) वर्ष 1918 में 

उत्तर- (c) गाँधीजी ने गुजरात के खेड़ा जिले के किसानों के समर्थन में वर्ष 1917 में सत्याग्रह को अपनाया था। इस आंदोलन का प्रमुख कारण प्लेग महामारी के बावजूद भी किसानों पर लगान लगाना था। इस आंदोलन के पश्चात् लगान की दरों में कटौती की गई थी। 

 

प्रश्न 2. कांग्रेस के किस अधिवेशन में महात्मा गाँधी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन को शुरू करने का प्रस्ताव पारित किया गया था

(a) लखनऊ अधिवेशन, 1918 

(b) लाहौर अधिवेशन, 1919

(c) कलकत्ता अधिवेशन, 1920 

(d) बेलगाँव अधिवेशन, 1918 

उत्तर- (c) कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन, 1920 में महात्मा गाँधी तथा अन्य नेताओं ने असहयोग आंदोलन को शुरू करने का प्रस्ताव पारित किया। असहयोग आंदोलन खिलाफत आंदोलन तथा स्वराज को समर्पित करने के लिए शुरू किया गया था। 

 

प्रश्न 3. स्वतंत्रता आंदोलन के समय किस क्रांतिकारी के द्वारा 'हिंद स्वराज' नामक पुस्तक की रचना की गई थी

(a) शौकत अली

(b) रवींद्रनाथ टैगोर 

(c) मोहम्मद अली 

(d) गाँधीजी 

उत्तर- (d) स्वतंत्रता आंदोलन के समय गाँधीजी ने 'हिंद स्वराज' नामक पुस्तक की रचना की थी। इस पुस्तक में गाँधीजी ने कहा था कि ब्रिटिश शासन भारत में भारतीयों के सहयोग से स्थापित हुआ था, यदि हम असहयोग कर दें, तो एक वर्ष में भारत में ब्रिटिश शासन टूट जाएगा। 

 

प्रश्न 4. अवध के किस किसान के द्वारा अवध के किसानों को नेतृत्व प्रदान किया गया, जो पहले फिजी में इंडेट मजदूर थे

(a) बाबा रामदेव

(b) बाबा नागार्जुन देव 

(c) बाबा रामचंद्र

(d) बाबा परमानंद 

उत्तर- (c) अवध के किसानों को संन्यासी बाबा रामचंद्र ने नेतृत्व प्रदान किया, जो पहले फिजी में गिरमिटिया मजदूर के रूप में भी कार्य कर चुके थे। अवध के किसानों का आंदोलन अत्यधिक राजस्व वसूल करने वाले जमींदारों के विरुद्ध था।

 

प्रश्न 5. दिए गए युग्मों का अध्ययन कर गलत युग्म का चयन करें 

(a) असहयोग आंदोलन - वर्ष 1921 

(b) खिलाफत आंदोलन - वर्ष 1919 

(c) चौरी-चौरा आंदोलन - वर्ष 1922 

(d) गाँधीजी का अहमदाबाद में आगमन - वर्ष 1917 

उत्तर- (d) गाँधीजी का अहमदाबाद में आगमन वर्ष 1918 में हुआ था। वह अहमदाबाद सूती कपड़ा कारखानों के श्रमिकों के बीच सत्याग्रही आंदोलन को व्यवस्थित करने के लिए गए थे। 

 

प्रश्न 6. ............ के पश्चात् गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया, क्योंकि वह आंदोलन के हिंसक स्वरूप का समर्थन नहीं करते थे। 

(a) साइमन कमीशन का गठन 

(b) रॉलेट एक्ट

(c) चौरी-चौरा घटना 

(d) ब्लैक हॉल त्रासदी 

उत्तर (c) चौरी-चौरा घटना के पश्चात् गोंधीजी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया था, क्योंकि वह आंदोलन के हिंसक स्वरूप का समर्थन नहीं करते थे। इस आंदोलन के पश्चात गाँधीजी ने यह महसूस किया कि सामूहिक संघर्षों के लिए तैयार होने से पहले उन्हें सत्याग्रहियों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है। 

 

प्रश्न 7. नीचे दिए गए विकल्पों की सहायता से स्वराज पार्टी के गठन के प्रमुख कारण का चुनाव करें 

(a) कांग्रेस के सदस्यों का परिषद् की राजनीति में लौटना 

(b) कांग्रेस के सदस्यों को भारतीय स्वराज का पता लगाना 

(c) कांग्रेस के सदस्यों द्वारा साइमन कमीशन का विरोध करना 

(d) भारत के लिए उपराज्य (डोमीनियन स्टेट) का प्रबंध 

उत्तर- (a) स्वराज पार्टी के गठन का प्रमुख उद्देश्य कांग्रेस के सदस्यों का परिषद् की राजनीति में लौटना था। स्वराज पार्टी का गठन सी आर दास तथा मोतीलाल नेहरू द्वारा कांग्रेस के अंदर किया गया था। 

 

प्रश्न 8. दिए गए युग्मों का अध्ययन कर सही युग्म का चयन करें 

(a) उत्तर प्रदेश में किसानों का संगठन - वर्ष 1920-21 

(b) कांग्रेस द्वारा पूर्ण स्वराज की माँग - वर्ष 1929 

(c) अंबेडर द्वारा दमित वर्ग एसोसिएशन की स्थापना - वर्ष 1932 

(d) सविनय अवज्ञा की वापसी - वर्ष 1935 

उत्तर- (b) कांग्रेस द्वारा पूर्ण स्वराज की माँग वर्ष 1929 में की गई थी। उत्तर प्रदेश में वर्ष 1918-19 में बाबा रामचंद्र ने किसानों को संगठित किया था। वर्ष 1930 में अंबेडकर द्वारा दमित वर्ग एसोसिएशन की स्थापना की गई। वर्ष 1931 में गाँधीजी द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन वापस लिया गया।

 

प्रश्न 9. निम्न कथन की सहायता से संबंधित व्यक्ति की पहचान करें

उन्होंने नमक को शक्तिशाली प्रतीक के रूप में देखा। 

उन्होंने 31 जनवरी, 1930 को इरविन को पत्र लिखा। 

नमक कर को समाप्त करने की मांग की। 

(a) गाँधीजी

(b) जवाहरलाल नेहरू 

(c) मोतीलाल नेहरू

(d) बी. आर. अंबेडकर 

उत्तर- (a) गाँधीजी 

 

प्रश्न 10. दिए गए कथनों का अध्ययन कर, गलत कथन की पहचान करें

(a) जॉन साइमन के नेतृत्व में साइमन कमीशन का गठन किया गया 

(b) महात्मा गाँधी ने किसान सभा का गठन किया था 

(c) अवध में किसान आंदोलन का नेतृत्व बाबा रामचंद्र ने किया था 

(d) वर्ष 1921 में महात्मा गाँधी ने स्वराज ध्वज तैयार कर लिया गया था

उत्तर- (b) किसान सभा का गठन सहजानंद स्वामी द्वारा किया गया था। इस आंदोलन का प्रमुख उद्देश्य तालुकदारों और जमींदारों को खत्म करना था। 

 

प्रश्न 11. मुसलमानों के अल्पसंख्यक राजनीतिक हितों की रक्षा के लिए ........." ने पृथक् निर्वाचन की मांग की थी। 

(a) मुहम्मद इकबाल 

(b) मुहम्मद अली जिन्ना 

(c) शौकत अली

(d) बी. आर. अंबेडकर 

उत्तर- (a) मुसलमानों के अल्पसंख्यक राजनीतिक हितों की रक्षा के लिए मुहम्मद इकबाल ने पृथक् निर्वाचन की मांग की थी। उन्होंने अपनी इस माँग को भारत के अंदर एक मुस्लिम भारत का निर्माण कहकर उचित बताया। 

 

प्रश्न 12. पश्चिम बंगाल के किस क्रांतिकारी ने बंगाल के लोकगीतों को पुनर्जीवित कर स्वतंत्रता आंदोलन को और अधिक मजबूत किया था

(a) रवींद्रनाथ टैगोर 

(b) बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय 

(c) अरविंदो घोष

(d) अबनींद्रनाथ टैगोर 

उत्तर- (a) पश्चिम बंगाल में रवींद्रनाथ टैगोर ने लोकगीतों को पुनर्जीवित कर स्वतंत्रता आंदोलन को और अधिक मजबूत किया था। रवींद्रनाथ टैगोर के गीतों ने स्वदेशी आंदोलन में एक उत्प्रेरक का कार्य किया था।

 

(Very Short Answer Type Questions)


± प्रथम विश्वयुद्ध के भारत पर हुए प्रभावों का वर्णन करें।

उत्तर -  प्रथम विश्वयद्ध का भारत पर गहरा प्रभाव पड़ा था। विश्वयद्ध के आर्थिक और राजनीतिक परिणामों से राष्ट्रीय आंदोलन भी प्रभावित हुआ। ब्रिटेन ने भारतीय नेताओं की सहमति लिए बिना भारत को युद्ध में घसीट लिया था। कांग्रेस, उदारवादियों और भारतीय रजवाड़ों ने इस उम्मीद से अंगरेजी सरकार को समर्थन दिया कि युद्ध के बाद उन्हें स्वराज की प्राप्ति होगी, परंतु ऐसा नहीं हुआ। प्रथम विश्वयुद्ध ने भारतीय अर्थव्यवस्था को अव्यवस्थित कर दिया जिससे जनता की स्थिति काफी बेहतर हो गई। विश्वयुद्ध का प्रभाव राजनीतिक गतिविधियों पर भी पड़ा। विश्वयुद्ध के दौरान क्रांतिकारी गतिविधियाँ काफी बढ़ गई तथा राष्ट्रवादी आंदोलन को बल मिला।

± मुस्लिम लीग ने भारतीय राजनीति को किस प्रकार प्रभावित किया ?

उत्तर -  मुस्लिम लीग ने कांग्रेस के विरुद्ध अंग्रेजी सरकार का साथ दिया। इस कारण सरकार ने मुसलमानों को पृथक निर्वाचन क्षेत्र, व्यवस्थापिका सभा में प्रतिनिधित्व आदि सुविधाएँ दी थी। इन सुविधाओं के कारण हिंदू तथा मुसलमानों में मतभेद उत्पन्न हुआ जिससे राष्ट्रीय आंदोलन पर बुरा असर पड़ा। जिन्ना के नेतत्व में लीग ने 14-सूची माँग रखकर भारत के विभाजन में सहायता की।

 

± मुस्लिम लीग के क्या उद्देश्य थे ?

उत्तर -  मुस्लिम लीग की स्थापना 30 दिसम्बर, 1906 को हुई। इसका उद्देश्य था मुस्लिम के हितों की रक्षा करना। इसकी नींव ढाका के नबाव सलीमुल्लाह खाँ ने रखी थी। इसका उद्देश्य मुसलमानों को सरकारी सेवा में उचित स्थान दिलाना एवं न्यायाधीश के पद पर मुसलमानों को जगह दिलाना। विधान परिषद् में अलग निर्वाचक मंडल बनाना एवं काउन्सिल में उचित जगह पाना।

± अल्लूरी सीताराम राजू कौन थे?

उत्तर -  आंध्रप्रदेश की गूडेम पहाड़ियों में 1920 के दशक में नये वन कानूनों के लगाए जाने के प्रतिरोध में आदिवासियों का विद्रोह हुआ। जिसका नेतृत्व अल्लूरी सीताराम राजू ने किया।

± नमक सत्याग्रह पर एक टिप्पणी लिखें।

उत्तर - सविनय अवज्ञा आंदोलन नमक सत्याग्रह से आरंभ हुआ। नमक कानून भंग करने के लिए गाँधीजी ने दांडी को चुना। 12 मार्च, 1930 को अपने 78 विश्वस्त सहयोगियों के साथ गाँधीजी ने साबरमती आश्रम से दांडी यात्रा आरंभ की। 24 दिनों की लम्बी यात्रा के बाद 6 अप्रैल, 1930 को दांडी पहुँचे। वहाँ पहुँचकर उन्होंने समुद्र के पानी से नमक बनाया और शांतिपूर्ण अहिंसक ढंग से नमक कानून भंग किया।

± खिलाफत आंदोलन के क्या कारण थे ? अथवा, खिलाफत आंदोलन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

उत्तर - तुर्की का सुल्तान खलीफा इस्लामी जगत का धर्मगुरु भी था। सेवर्स की संधि द्वारा उसकी शक्ति और प्रतिष्ठा नष्ट कर दी गई। इससे भारतीय मुसलमान उद्वेलित हो गए। खलीफा को पुराना गौरव या उसकी प्रतिष्ठा को पुनर्स्थापित करने के लिए 1919 में अली बंधुओं ने खिलाफत समिति बनाकर आंदोलन करने की योजना बनाई। 17 अक्टूबर, 1919 को खिलाफत दिवस मनाया गया। 1924 में तुर्की के शासक मुस्तफा कमाल पाशा द्वारा खलीफा के पद को समाप्त कर देने से खिलाफत आंदोलन स्वतः समाप्त हो गया।

± साइमन कमीशन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

उत्तर - साइमन कमीशन के गठन का उद्देश्य 1919 के अधिनियम द्वारा स्थापित उत्तरदायी शासन की स्थापना में किए गए प्रयासों की समीक्षा करना एवं आवश्यक सुझाव देना था। साइमन कमीशन फरवरी 1928 में भारत आया।
आयोग के बंबई (मुंबई) पहुँचने पर इसका स्वागत काले झंडों एवं प्रदर्शनों से किया गया एवं साइमन वापस जाओ के नारे लगाए गए। देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए जिसका जवाब अंग्रेजी सरकार ने लाठी से दिया।

± सविनय अवज्ञा आंदोलन के क्या कारण थे ?

उत्तर - सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रमुख कारण थे

(i) साइमन कमीशन का बहिष्कार तथा नेहरू रिपोर्ट को अस्वीकार किया जाना,
(ii) 1929-30 की विश्वव्यापी आर्थिक मंदी,
(iii) भारत में समाजवादी का बढ़ता प्रभाव,
(iv) गाँधीजी के 11 सूत्री मांगों को मानने से इरविन का इनकार,
(v) पूर्ण स्वराज की माँग।


± 1932 के पूना समझौता का क्या परिणाम हुआ ?

उत्तर - 26 सितंबर, 1932 को पूना में गाँधीजी और डा० अंबेदकर के बीच पूना समझौता हुआ जिसके परिणामस्वरूप दलित वर्गों (अनुसूचित जातियों) के लिए प्रांतीय और केंद्रीय विधायिकाओं में स्थान आरक्षित कर दिए गए। गाँधीजी ने अपना अनशन तोड़ दिया और हरिजनोद्धार कार्यों में लग गए।

± रॉलेट एक्ट से आप क्या समझते हैं? इसका विरोध क्यों हुआ ?

उत्तर - भारत में बढ़ती हुई राष्ट्रवादी घटनाओं एवं असंतोष को दबाने के लिए रॉलेट एक्ट को लाया गया था जिसके अंतर्गत सरकार किसी भी व्यक्ति को बिना साक्ष्य एवं वारंट के भी गिरफ्तार कर सकती थी। इस अधिनियम के अंतर्गत एक विशेष न्यायालय के गठन का प्रावधान था जिसके निर्णय के विरुद्ध कोई अपील नहीं की जा सकती थी। इसीलिए इसका विरोध हुआ।

± गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन क्यों आरंभ किया ? यह प्रथम जनआंदोलन कैसे था ?

उत्तर - रॉलेट कानून, जालियाँवाला बाग हत्याकांड के विरोध में तथा खिलाफत आंदोलन के समर्थन में गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन चलाने का निर्णय लिया। इसका उद्देश्य स्वराज्य की प्राप्ति था। इसमें समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने पहली बार व्यापक रूप से भाग लिया। शहरी मध्यमवर्ग की इसमें मुख्य भागीदारी रही। ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों, मजदूरों तथा आदिवासियों ने भी इस आंदोलन में भाग लिया। इस प्रकार, यह प्रथम जनआंदोलन बन गया।

± गाँधीजी ने खिलाफत आंदोलन को समर्थन क्यों दिया ?

उत्तर - गाँधीजी ने हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए खिलाफत आंदोलन का समर्थन किया, क्योंकि गाँधीजी को भारत में एक बड़ा जन-आंदोलन असहयोग आन्दोलन चलाना था।

± साइमन कमीशन का गठन क्यों किया गया ? भारतीयों ने इसका विरोध क्यों किया ?

उत्तर  1919 ई० के भारत सरकार अधिनियम में यह व्यवस्था की गई थी कि दस वर्ष के बाद एक ऐसा आयोग नियक्त किया जाएगा जो इस बात की जाँच करेगा कि इस अधिनियम में कौन-कौन से परिवर्तन संभव है। अतः ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने समय से पूर्व सर जॉन साइमन के नेतृत्व में 8 नवंबर, 1927 को साइमन कमीशन की स्थापना की। इसके सभी 7 सदस्य अंग्रेज थे। इस कमीशन का उद्देश्य संवैधानिक सुधार के प्रश्न पर विचार करना था। इस कमीशन में किसी भी भारतीय को शामिल नहीं किया गया जिसके कारण भारत में इस कमीशन का तीव्र विरोध हुआ।

 

(Short Answer Type Questions)

 

प्रश्न 1. रॉलेट एक्ट क्या था? भारतीयों ने इस एक्ट के प्रति अपनी असहमति किस प्रकार दर्शाई

(CBSE 2016, 2015, 2014, 2013) 

Or 

भारत के लोग रॉलेट एक्ट के विरोध में क्यों थे

उत्तर- रॉलेट एक्ट वर्ष 1919 में अंग्रेज सरकार द्वारा आरंभ किया गया एक दमनकारी एक्ट था। वर्ष 1919 में रॉलेट अधिनियम इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल के माध्यम से पारित किया गया था। इस अधिनियम के अनुसार, राजनीतिक कैदियों को बिना किसी मुकदमे के दो वर्ष के लिए जेल में रखा जा सकता था। इसलिए भारत के लोग रॉलेट एक्ट के विरोध में थे। भारतीयों ने इस एक्ट के प्रति अपनी असहमति निम्न प्रकार से प्रकट की :-

महात्मा गाँधी ने इस कानून के विरुद्ध अहिंसात्मक सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ करने का निर्णय लिया। 

विभिन्न शहरों में रैली का आयोजन किया गया। 

रेलवे वर्कशॉप्स में कामगार हड़ताल पर चले गए।

अमृतसर के जलियाँवाला बाग में शांतिपूर्ण विरोध सभाएँ हुई। 

 

प्रश्न 2. “गाँधीजी ने खिलाफत आंदोलन का समर्थ किया।इस कथन की पुष्टि कीजिए। 

(CBSE 2020)

उत्तर- रॉलेट सत्याग्रह के दौरान महात्मा गाँधी का विचार था कि हिंदुओं और मुस्लिमों को एकसाथ मिलाए बिना किसी भी आंदोलन का आयोजन नहीं किया जा सकता। ऐसा करने का एक तरीका है कि वे खिलाफत का मुद्दा उठाएँ। प्रथम विश्वयुद्ध ओटोमन तुर्की की हार के साथ समाप्त हो गया था। यह अफवाह फैल रही थी कि इस्लामिक विश्व के आध्यात्मिक नेता (खलीफा) ओटोमन सम्राट पर एक कठोर शांति संधि लगाई जाएगी। भारत के मुसलमानों ने ब्रिटेन को अपनी तुर्की नीति को बदलने के लिए मजबूर करने का फैसला किया। मुस्लिम नेता मोहम्मद अली और शौकत अली ने इस मुद्दे पर एकजुट होकर सामूहिक कार्रवाई की संभावना के बारे में महात्मा गाँधी के साथ चर्चा शुरू की।

 

प्रश्न 3. शहरों में असहयोग आंदोलन के धीरे-धीरे धीमा होने के किन्हीं दो कारणों का उल्लेख कीजिए।

(CBSE 2017) 

उत्तर- शहरों में असहयोग आंदोलन के धीमा होने के दो मुख्य कारण निम्नलिखित हैं :-

(1) खादी का कपड़ा मिलों में बड़े पैमाने पर बनने वाले कपड़ों की अपेक्षा महँगा होता था। अतः गरीब लोग उसे खरीद नहीं सकते थे। इसलिए वे विदेशी कपड़ों का लंबे समय तक बहिष्कार नहीं कर सके। 

(2) ब्रिटिश संस्थानों के बहिष्कार से भी समस्या होने लगी। वैकल्पिक भारतीय संस्थानों की स्थापना की जरूरत थी, ताकि ब्रिटिश संस्थानों के स्थान पर इनका प्रयोग किया जा सके, किंतु वैकल्पिक संस्थानों की स्थापना प्रक्रिया धीमी होने के कारण विद्यार्थी एवं शिक्षक सरकारी स्कूलों में लौटने लगे। 

 

प्रश्न 4. असम के बागान मजदूरों की महात्मा गाँधी और स्वराज की अवधारणा के विषय में क्या राय थी? समझाइए। 

(CBSE 2019) 

उत्तर- असम के बागान मजदूरों की महात्मा गाँधी और स्वराज की अवधारणा के विषय में निम्न राय थी 

मजदूरों के लिए आजादी का अर्थ था कि वे उन चहार-दीवारियों से जब चाहे जा सकें, जिनमें उन्हें बंद करके रखा गया था। 

• 1859 . के इंग्लैंड इमिग्रेशन एक्ट के अंर्तगत बागानों में काम करने वाले मजदूर बिना आज्ञा के बागान से बाहर नहीं जा सकते थे। 

मजदूरों के लिए आजादी का अर्थ अपने गाँव से संपर्क रखना था। 

जब उन्होंने असहयोग आंदोलन के बारे में सुना तो हजारों मजदूर अपने अधिकारियों की अवहेलना करने लगे तथा बागान छोड़कर अपने घर चल दिए। 

मजदूर यह मानने लगे थे कि अब गाँधी राज रहा है, इसलिए अब सभी को गाँव में जमीन मिल जाएगी। 

 

प्रश्न 5. फरवरी, 1922 में गाँधीजी ने 'असहयोग आंदोलन' को वापस लेने का निर्णय क्यों किया? कोई तीन कारण स्पष्ट कीजिए। 

(CBSE 2017) 

उत्तर- फरवरी, 1922 में गाँधीजी के 'असहयोग आंदोलन' को वापस लेने के मुख्य तीन कारण निम्नलिखित थे :-

(1) आंदोलन के दौरान लोगों ने विदेशी कपड़ों और माल का बहिष्कार किया, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय कपड़ा मिलों और हथकरघों का उत्पादन बढ़ा, किंतु खादी का कपड़ा महंगा होने के कारण यह गरीबों के लिए उपयुक्त नहीं था। अतः वे मिलों के कपड़ों का ज्यादा समय तक विरोध नहीं कर सके। 

(2) आंदोलन हिंसक होता गया जिसमें महिलाओं और बच्चों को पीटा गया। साथ ही प्रमुख नेताओं जनसाधारण को गिरफ्तार किया जाने लगा। 

(3) 4 फरवरी, 1922 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में स्थित चौरी-चौरा नामक स्थान पर बाजार से गुजर रहा एक शांतिपूर्ण जुलूस पुलिस के साथ एक हिंसक टकराव में बदल गया। 

 

 

प्रश्न 6. 'सविनय अवज्ञा आंदोलन' की सीमाओं की व्याख्या कीजिए।

(CBSE 2019) 

अथवा 

सविनय अवज्ञा आंदोलन की सीमाओं के मुख्य बिंदुओं को स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर- सविनय अवज्ञा आंदोलन की कुछ सीमाएँ निम्न थीं :-

सविनय अवज्ञा आंदोलन में दलितों की भागीदारी बहुत सीमित थी। 

अविश्वास और संदेह के कारण मुस्लिम राजनीतिक समूहों की भागीदारी कम थी। 

सनातनियों और हिंदू महासभा की भूमिका अत्यंत प्रभावशाली थी। 

सभी वर्गों के लोगों की अपनी-अपनी आकांक्षाएँ थीं, इसलिए संघर्ष एकजुट नहीं था और प्रतिभागियों में असंतोष था। 

 

प्रश्न 7. राष्ट्रवादियों पर शिकंजा कसने के लिए ब्रिटिश प्रशासन द्वारा उठाए गए तीन दमनकारी उपायों का वर्णन कीजिए। 

(Delhi 2014)

उत्तर-राष्ट्रवादियों पर शिकंजा कसने के लिए ब्रिटिश प्रशासन ने अनेक दमनकारी कदम उठाए जिनमें से मुख्य तीन निम्नलिखित हैं

(1) उन्होंने 1878 ई० में वर्नाक्युलर प्रैस एक्ट (Vernacular Press Act) पास करके भारतीय भाषाओं में छपने वाले अखबारों पर अंकुश लगा दिया कि वे बिना प्रूफ दिखाए कोई खबर छापें। इस प्रकार भारतीय प्रैस की स्वतन्त्रता जाती रही। 

(2) 1919 ई० में उन्होंने रोलैंट एक्ट (Rowlatt Act) पास किया जिसके द्वारा भारतीयों को बिना मुकद्दमा चलाए कैद किया जा सकता था। अब कोई 'वकील, दलील और अपील' का अवसर बाकी नहीं रह गया था। 

(3) 1919 में ही बैसाखी के दिन जलियांवाला बाग (Jallianwala Bagh) में शांति सभा करने वाले लोगों को गोलियों से भून दिया गया। 

(4) इसके पश्चात् शीघ्र ही मॉर्शल लॉ (Martial Law) द्वारा भारतीयों पर अनेक अन्याय किए गए। इन 

 

 

प्रश्न 8. "असम में बागानी मजदूरों की महात्मा गांधी के विचारों और स्वराज के बारे में अपनी अलग अवधारणा थी।" तर्क देकर इस कथन की पुष्टि कीजिए। 

(Outside-Delhi 2019/Outside-Delhi 2016/Delhi 2017)

उत्तर-असम में बागानी मजदूरों के लिए महात्मा गांधी के विचारों और आज़ादी का अर्थ यह था कि वे जब चाहें अंग्रेज़ी बागान मालिकों द्वारा बनाई गई चारदीवारी से बाहर -जा सकते हैं। उसके लिए आजादी का यह भी मतलब था कि वे अपने गांवों से बेफिक्र होकर संपर्क रख पाएँगे। 1859 में पास किए गए एक कानून के अनुसार मजदूरों को बिना आज्ञा बागान से बाहर जाने की आज्ञा नहीं थी।

उन्होंने जब असहयोग आंदोलन के विषय में सुना तो उन्होंने बागानों को छोड़ दिया और वे अपने घरों को चल दिए। उनका विचार था कि अब गांधी-राज रहा है और उन्हें अपने गांव में ही खेती करने योग्य जमीन मिल जाएगी। परंतु ब्रिटिश सरकार द्वारा रेलवे और स्टीमरों पर पाबंदी लगाये जाने के कारण वे अपने घर पहुँच पाए और पुलिस ने रास्ते में ही उन्हें पकड़ लिया और उनकी पिटाई कर दी।

इसी प्रकार बागान मजदूरों ने स्वराज का भी अपने ढंग से मतलब निकाल लिया। उनके लिए यह एक ऐसे युग का द्योतक था जब उनके सारे कष्ट दूर हो जाएंगे। 

 

 

प्रश्न 9. असहयोग आन्दोलन के शुरू किए जाने के क्या कारण थे ? इसे आरम्भ किए जाने के पीछे गाँधीजी की पुस्तक 'हिन्द स्वराज' में वर्णित विचार का क्या हाथ था ?

Or

असहयोग किस प्रकार आन्दोलन बन सका ? उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए।

(Delhi 2014) 

उत्तर-असहयोग आन्दोलन, जो जन-संग्रह द्वारा 1920 ई० में शुरू किया गया, अनेक कारणों से शक्तिशाली आन्दोलन बन गया। 

(1) इसका पहला कारण यह था कि खिलाफत आन्दोलन से हिन्दू-मुस्लिम एकता का वातावरण बना हुआ था उसे कांग्रेस, विशेषकर महात्मा गाँधी बनाए रखना चाहते थे। 

(2) प्रथम विश्व युद्ध में गाँधीजी ने ब्रिटिश सरकार का साथ दिया था क्योंकि उनका विचार था कि इसके बदले वह भारत को 'स्वराज' सौंप देगी परन्तु जब ऐसा कुछ हुआ तो असहयोग आन्दोलन चलाना पड़ा। 

(3) 1919 में ब्रिटिश सरकार ने एक बड़ा अपमानजनक कानून रॉलेट एक्ट के नाम से पास कर दिया जिसके अन्तर्गत किसी भी भारतीय को बिना किसी कारण कैद किया जा सकता था। ऐसा करना तो आग में घी डालने वाली बात थी। 

(4) केवल यही नहीं जब कुछ भारतीय इस कानून का विरोध करने के लिए जलियांवाला बाग में एकत्रित हुए तो उन्हें गोलियों का निशाना बनाया गया। ऐसे में महात्मा गाँधी कैसे चुप बैठ सकते थे। 

हिन्द स्वराज में वर्णित विचार-इस पुस्तक में महात्मा गाँधी ने इस विचार को प्रकट किया कि भारत में ब्रिटिश राज्य केवल भारतीयों के कंधों पर टिका हुआ है; यदि वे अपनी मदद बंद कर दें तो भारत में ब्रिटिश राज्य एक वर्ष के अन्दर ही अन्दर समाप्त हो जाएगा।

 

प्रश्न 10. साइमन आयोग क्या था ? भारतवासियों ने इसका विरोध क्यों किया ?

उत्तर-फरवरी 1928 ई० को इंग्लैंड की सरकार ने सर जॉन साइमन (Sir John Simon) की अध्यक्षता में 7 सदस्यों का एक कमीशन भारत भेजा। उसका उद्देश्य ब्रिटिश सरकार के सामने यह रिपोर्ट पेश करना था कि 1919 ई० का एक्ट कहाँ तक सफल रहा है। परन्तु जहाँ भी यह कमीशन जाता था वहाँ हड़तालें होती थीं, काली झण्डियाँ दिखाई जाती थीं और 'साइमन लौट जाओ' (Simon Go Back) के नारे लगाए जाते थे।

साइमन का बहिष्कार के कारण:

(1) इस कमीशन के बहिष्कार का पहला कारण यह था कि इसका कोई भी सदस्य भारतीय नहीं था। लोगों का विश्वास था कि भारत के विषय में कोई भी कमीशन ठीक नहीं सोच सकता जब तक उसमें कोई भी भारतीय सदस्य हो। 

(2) दूसरे, इस कमीशन की धाराओं में भारतीयों को स्वराज दिए जाने की कोई भी संभावना नहीं थी।

 

 

प्रश्न 11. देहात में असहयोग आंदोलन के फैलने का वर्णन कीजिए। 

(Outside Delhi 2015)

Or 

असहयोग आन्दोलन के दिनों में अवध के किसानों द्वारा सामना की गई किन्हीं तीन समस्याओं का वर्णन कीजिए। 

(Outside Delhi 2015)

Or 

असहयोग आन्दोलन किस प्रकार से देहात में फैला और किसानों आदिवासियों को संघर्ष में शामिल किया? व्याख्या कीजिए।

(CBSE Sample Question Paper 2018) 

उत्तर-असहयोग आन्दोलन जब भारत में जनवरी 1921 ई० को प्रारम्भ किया तो शीघ्र ही यह भारत के अनेक भागों और विशेषकर भारत के ग्रामीण क्षेत्रों (जैस अवध) में फैलता चला गया क्योंकि उनके सामने अनेक विराट समस्याएँ थी -:

(1) विदेशी शासन के प्रोत्साहन पर विशेषकर अवध के तालुकदारों और ज़मींदारों ने किसानों से भारी-भरकम लगान और तरह-तरह के कर लेने शुरू कर दिए थे। 

(2) किसानों, विशेषकर अवध के किसानों को बेगार करनी पड़ती थी। उन्हें ज़मींदारों के खेतों पर निरंतर काम करना पड़ता था जिनके बदले उन्हें कोई भी वेतन या धनराशि नहीं दी जाती थी। 

(3) पट्टेदार के रूप में उनके पट्टे निश्चित नहीं होते थे। इसका परिणाम यह होता था कि उन्हें कभी भी पट्टे की जमीन से हटा दिया जाता था। ऐसा इसलिए किया जाता था ताकि जमीन पर उनका कोई अधिकार स्थापित हो सके।

(4) ग्रामीण लोग विशेषकर किसान वर्ग ग्रामीणों और साहूकारों से ही तंग नहीं आया हुआ था वरन् वह विदेशी सरकार से भी बड़ा परेशान था। सरकारी अधिकारी ज़मींदारों और साहूकारों से भी अधिक क्रूर और अन्यायी थे। जंगली कबीलों को तो वन में घुसने से मना कर दिया गया था जिसके परिणामस्वरूप उन्हें अपने पशुओं के लिए चारा मिलना भी बंद हो गया था और वे स्वयं भूखों मरने लगे थे। 

 

 

प्रश्न 12. शहरों में असहयोग आंदोलन धीरे-धीरे क्यों धीमा हो गया? तीन कारण दें।

Or

शहरों में असहयोग आंदोलन धीमा क्यों हुआ? बताएं। 

उत्तर-निम्नलिखित कारणों से असहयोग आंदोलन धीरे-धीरे शहरों में धीमा हो गया

1. खाकी कपड़ा अक्सर बड़े पैमाने पर उत्पादित मिल कपड़े से अधिक महंगा था और गरीब लोग इसे खरीदने का जोखिम नहीं उठा सकते थे। 

2. आंदोलन सफल होने के लिए, वैकल्पिक भारतीय संस्थानों को स्थापित करना था ताकि वे ब्रिटिश लोगों के स्थान पर उपयोग किए जा सकें। 

3. छात्रों और शिक्षकों ने सरकारी स्कूलों में वापस घूमना शुरू कर दिया और वकील सरकारी अदालतों में अपने काम में शामिल हो गए। 

 

 

(Long Answer Type Questions)

 

प्रश्न 1. असहयोग आंदोलन किस प्रकार शहरों में शुरू हुआ? आर्थिक मोचें पर इसके प्रभावों की व्याख्या कीजिए।

(CBSE 2018) 

अथवा 

देशभर के शहरों में असहयोग आंदोलन का प्रसार किस प्रकार हुआ? आर्थिक क्षेत्र पर इसके प्रभावों का उल्लेख करें। 

उत्तर- असहयोग आंदोलन शहरी मध्यवर्ग की हिस्सेदारी के साथ शहरों में शुरू हुआ। इस आंदोलन में लोगों की भागीदारी का प्रसार निम्नलिखित रूपों में हुआ

मध्यवर्ग की भागीदारी शहरों में यह आंदोलन मध्यवर्ग द्वारा शुरू हुआ था। हजारों विद्यार्थियों ने सरकारी नियंत्रण वाले स्कूल-कॉलेज छोड़ दिए। मुख्याध्यापकों अध्यापकों ने त्याग-पत्र दे डाले और वकीलों ने अपनी वकालत छोड़ दी। 

गाँवों में आंदोलन गाँवों में लोगों ने 'स्वराज' के विचार की व्याख्या अपने ढंग से की थी, परंतु उन्होंने बड़े पैमाने पर आंदोलन में भाग लिया। 

परिषद् चुनावों का बहिष्कार मद्रास (वर्तमान चेन्नई) के अतिरिक्त अधिकतर प्रांतों में काउंसिल के चुनावों का बहिष्कार किया गया। 

स्वदेशी असहयोग आंदोलन का भारतीय कपड़ा मिलों पर भी भारी प्रभाव पड़ा। स्वदेशी माल, विशेषतः भारतीय मिलों में बने कपड़ों को महत्त्व दिया गया था। विदेशी माल का बहिष्कार किया गया। शराब की दुकानों की पिकेटिंग की गई विदेशी कपड़े की होली जलाई गई। 

उद्योगों पर प्रभाव बहुत स्थानों पर व्यापारियों ने विदेशी वस्तुओं का व्यापार करने या विदेशी व्यापार में पैसा लगाने से मना कर दिया। इस कारण भारतीय कपड़ा मिलों तथा हथकरघों के कपड़े की मौंग बढ़ने लगी। माँग में वृद्धि से लुप्त हो रहे भारतीय कपड़ा उद्योग को भारी राहत मिली। 

 

प्रश्न 2. “आदिवासी किसानों ने महात्मा गाँधी के संदेश और 'स्वराज' के विचार का कुछ और ही मतलब निकाला।उपयुक्त उदाहरण देकर कथन का समर्थन करें। 

अथवा 

भारत के विभिन्न भागों में किसानों एवं आदिवासियों ने 'असहयोग आंदोलन' में किस प्रकार भाग लिया? व्याख्या कीजिए।

(CBSE 2019)

उत्तर- यह कथन सत्य है कि "आदिवासी किसानों ने महात्मा गाँधी के संदेश और स्वराज के विचार का अलग अर्थ निकाला था।" उन्होंने सोचा था कि गाँधीजी ने यह घोषित किया है कि किसी भी कर का भुगतान नहीं किया जाएगा और गरीबों के बीच भूमि को पुनर्वितरित किया जाएगा। इस कारण आंध्र प्रदेश की गुडेम पहाड़ियों में एक आतंकवादी गुरिल्ला आंदोलन, अल्लूरी सीताराम राजू के नेतृत्व में पूर्ण रूप से फैल गया। असहयोग आंदोलन से प्रेरित होकर अल्लूरी सीताराम राजू ने महात्मा गाँधी की महानता की बात की तथा लोगों को 'खादी' पहनने और शराब का त्याग करने को कहा। उनका मानना था कि भारत अहिंसा से नहीं, बल्कि बल के उपयोग से मुक्त हो सकता है। कांग्रेस इस तरह के संघर्ष को कभी स्वीकार नहीं कर सकती थी। अन्य वन क्षेत्रों की तरह यहाँ भी अंग्रेजी सरकार ने बड़े-बड़े जंगलों में लोगों के दाखिल होने पर पाबंदी लगा दी थी। लोग इन जंगलों में तो मवेशियों को चरा सकते थे ही जलाने के लिए लकड़ी और फल बीन सकते थे। इससे पहाड़ों के लोग परेशान और गुस्सा थे। केवल उनकी रोजी-रोटी पर असर पड़ रहा था, बल्कि उन्हें लगता था कि उनके परंपरागत अधिकार भी छीने जा रहे हैं। जब सरकार ने उन्हें सड़कों के निर्माण के लिए बेगार करने पर मजबूर किया तो लोगों ने बगावत कर दी। 

 

प्रश्न 3. गाँधीजी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन कब शुरू किया? इस आंदोलन ने देश को किस प्रकार एकजुट किया? समझाइए। 

(CBSE 2019) 

अथवा 

गाँधीजी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन क्यों शुरू किया? किन्हीं तीन कारणों का उल्लेख करें।

(CBSE 2018) 

उत्तर- गाँधीजी ने वर्ष 1930 में जब सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ किया तब देश में ब्रिटिश सरकार के प्रति देशवासियों में अत्यधिक रोष था। इस आंदोलन को शुरू करने के पीछे कई घटनाएँ थीं, जिन्होंने देशों को एकजुट करने में मदद की। 

आर्थिक कारण सबसे पहला कारण आर्थिक संकट था। वर्ष 1929 की महामंदी का भारतीय अर्थव्यवस्था, विशेषतः कृषि पर दुष्प्रभाव पड़ा। वर्ष 1926 से कृषि उत्पादों की कीमतें गिरनी शुरू हुई, जो वर्ष 1930 तक बहुत नीचे गई। कृषि उत्पादों की माँग घटने से निर्यात गिर गया और किसानों को अपनी उपज बेचकर लगान चुकाना भी कठिन हो गया। सरकार ने करों में छूट देने से मना कर दिया। अतः वर्ष 1930 में किसानों की दशा शोचनीय बन गई। आंदोलन के फलस्वरूप किसानों ने राजस्व और चौकीदारी कर देने से मना कर दिया। 

व्यवसायी वर्ग में समर्थन व्यवसायी वर्ग ने अपने कारोबार को फैलाने के लिए ऐसी औपनिवेशिक नीतियों का विरोध किया, जिनके कारण उनकी व्यावसायिक गतिविधियों में रुकावट आती थी। उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन को आर्थिक समर्थन प्रदान करने का निर्णय लिया। 

साइमन कमीशन की असफलता राष्ट्रवादी आंदोलन को देखकर साइमन कमीशन का गठन किया गया था, परंतु यह कमीशन भारतीय लोगों तथा नेताओं को संतुष्ट करने में असफल रहा। कांग्रेस और मुस्लिम लीग सहित सभी पार्टियों ने प्रदर्शनों में हिस्सा लिया। इस विरोध को शांत करने के लिए वायसराय लॉर्ड इरविन ने अक्टूबर, 1929 में भारत के लिए 'डोमीनियन स्टेटस' का ऐलान कर दिया, परंतु इससे भी नेता संतुष्ट नहीं हुए। 

पूर्ण स्वराज दिसंबर, 1929 को जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में लाहौर सम्मेलन में पूर्ण स्वराज' या भारत की पूर्ण स्वतंत्रता की माँग को अंतिम रूप दिया गया। यह घोषित किया गया कि 26 जनवरी, 1930 को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाएगा। 

गाँधीजी की 11 माँगें अस्वीकार 31 जनवरी, 1930 को गाँधीजी ने भारतीयों के साथ हुए अन्याय को समाप्त करने के लिए एक वक्तव्य में 11 माँगें रखीं, जिनमें से कुछ इस तरह थीं-उन्होंने वायसराय को आश्वासन दिया कि यदि उनकी माँगें मान ली गईं, तो वे सविनय अवज्ञा आंदोलन वापस ले लेंगे, परंतु वायसराय ने उनकी इन मांगों को अवास्तविक घोषित कर दिया। 

 

 

प्रश्न 4. 'सविनय अवज्ञा आंदोलन' में गरीब किसानों की भूमिका का वर्णन कीजिए।

(CBSE 2020) 

उत्तर- गाँवों में संपन्न किसान समुदाय; जैसे-गुजरात के पाटीदार और उत्तर प्रदेश के जाट सविनय अवज्ञा आंदोलन में सक्रिय थे। व्यावसायिक फसलों की खेती करने के कारण व्यापार में मंदी और गिरती कीमतों से वे बहुत परेशान थे। जब उनकी नकद आय खत्म होने लगी तो उनके लिए सरकारी लगान चुकाना कठिन हो गया। सरकार लगान कम करने को तैयार नहीं थी। संपन्न किसानों ने सविनय अवज्ञा आंदोलन का बढ़-चढ़ कर समर्थन किया, उन्होंने अपने समुदायों को एकजुट किया और कई बार अनिच्छुक सदस्यों को बहिष्कार के लिए मजबूर किया। 

उनके लिए स्वराज की लड़ाई भारी लगान के खिलाफ थी, लेकिन जब वर्ष 1931 में लगानों के घटे बिना आंदोलन वापस ले लिया गया तो उन्हें बड़ी निराशा हुई। गरीब किसान केवल लगान में कमी नहीं चाहते थे। उनमें से बहुत सारे किसान जमींदारों से पट्टे पर जमीन लेकर खेती कर रहे थे। वे चाहते थे कि उन्हें जमींदारों को जो भाड़ा चुकाना था उसे माफ कर दिया जाए। इसके लिए उन्होंने कई रेडिकल आंदोलनों में भाग लिया। इस प्रकार सविनय अवज्ञा आंदोलन में गरीब किसानों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

 

प्रश्न 5. “इतिहास और कथा, लोकगीत और गीत, लोकप्रिय प्रिंट और प्रतीक सभी ने भारत में राष्ट्रवाद के निर्माण में एक भूमिका निभाई है।" इस कथन का समर्थन करें।

(CBSE 2017) 

उत्तर- "इतिहास और कथा, लोकगीत और गीत, लोकप्रिय प्रिंट और प्रतीक सभी ने भारत में राष्ट्रवाद के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है", जिसे निम्न प्रकार देखा जा सकता है 

राष्ट्रवादी इतिहासकारों ने पाठकों से अतीत में भारत की महान् उपलब्धि पर गर्व करने का आग्रह किया तथा ब्रिटिश शासन के लिए अपनी दयनीय स्थिति को बदलने के लिए संघर्ष करने को प्रेरित किया। बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा लिखे गए उपन्यास 'आनंद मठ' एवं इसकी भौति लिखे गए अन्य उपन्यासों ने देश के लोगों को प्रभावित किया। 

भारतीय लोककथाओं को पुनर्जीवित करने के लिए आंदोलनों के माध्यम से राष्ट्रवाद के विचार विकसित हुए। उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में रवींद्रनाथ टैगोर और नटेसा शास्त्री जैसे राष्ट्रवादियों ने भारतीय लोककथाओं, लोकगीतों, गाथा गीत, नर्सरी कविताएँ एवं पौराणिक कथाएँ एकत्रित की। क्योंकि वे पारंपरिक संस्कृति की सच्ची तस्वीर प्रस्तुत करना चाहते थे, जो उपनिवेशवादियों द्वारा क्षतिग्रस्त की गई थीं। क्योंकि लोकगीत लोगों की वास्तविक सोच का सबसे विश्वसनीय रूप था। 

बीसवीं सदी में राष्ट्रवाद का विकास भारत माता की छवि से जुड़ा हुआ था। अबनींद्रनाथ टैगोर और कई अन्य कलाकारों ने भारत माता की पेंटिंग बनाई। इस माँ की भक्ति को राष्ट्रवाद के साक्ष्य के रूप में देखा गया। गाँधीजी ने स्वराज ध्वज (लाल, हरा, सफेद) को डिजाइन किया। मार्च के दौरान इस झंडे को ले जाना या पकड़कर रखना चुनौती (अवज्ञा) का प्रतीक बन गया।