सामाजिक विज्ञान (Social Science Class IX)

Term-2

Chapter-2

यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति

 

वर्णनात्मक प्रश्न 

लघु उत्तरीय 

 

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प्रश्न 1. यूरोप में फ्रांसीसी क्रांति के पश्चात् तीन तरह के विचारों का अभ्युदय हुआ, जो राजनीतिक परिवर्तन की वकालत करते थे। संक्षेप में इनके विचारों की चर्चा कीजिए। 

उत्तर यूरोप में तीन विभिन्न प्रकार के विचारों वाले समूह थे-रूढ़िवादी, उदारवादी एवं रैडिकल। 

(i) रूढ़िवादी रूढ़िवादी वर्ग उदारवादी तथा रैडिकल दोनों का विरोधी था। फ्रांसीसी क्रांति के पश्चात् इनकी भी सोच में परिवर्तन आया। 

(ii) उदारवादी समाज परिवर्तन के समर्थकों में एक समूह उदारवादियों का था। ये ऐसा राष्ट्र चाहते थे, जहीं सभी धर्मों को एकसमान सम्मान मिले। 

(iii) रैडिकल रैडिकल समूह के लोग ऐसी सरकार के पक्षा में थे, जो देश की आबादी के बहुमत के समर्थन पर आधारित हो, इनमें से अधिकांश लोग महिला मताधिकार आंदोलन के समर्थन में थे। 

 

प्रश्न 2. राष्ट्रवादी दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिए। 

उत्तर राष्ट्रवादी चाहते थे कि क्रांति को समाप्ति की ओर ले जाया जाए तथा 1815 . की यूरोपियन सरकार को समाप्त किया जाए। फ्रांस, इटली, जर्मनी और रूस के राष्ट्रवादी क्रांतिकारी बन गए और राजा को हटाने का प्रयास करने लगे। राष्ट्रवादी कार्यकर्ता क्रांति के द्वारा ऐसे राष्ट्रों की स्थापना करना चाहते थे, जिनमें सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त हो। 

इटली के राष्ट्रवादी गिसेप्मे मेजिनी ने 1815 . के बाद राष्ट्रवादियों के साथ मिलकर ऐसे इटली के गठन की प्रक्रिया प्रारंभ की, जहाँ सभी को समान अधिकार प्राप्त है।

 

3. समाजवाद की मुख्य चार विशेषताओं को बताइए। 

उत्तर समाजवाद की मुख्य चार विशेषताएं निम्नलिखित हैं :-

(i) समाजवाद के अंतर्गत उत्पादन के साधनों पर सरकार का नियंत्रण होता है। 

(ii) समाजवादी निजी संपत्ति के विरुद्ध थे। 

(iii) समाजवादी मानते थे कि निजी संपत्ति सभी सामाजिक बुराइयों का एक मूल कारण है। 

(iv) समाजवादी सामूहिक उद्यमों का समर्थन करते हैं। 

(v) समाजवादियों के अनुसार पूंजीपतियों को जो लाम प्राप्त होता है, वह मजदूरों के परिश्रम से ही होता है। 

 

4. वर्ष 1914 के रूसी साम्राज्य को स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर वर्ष 1914 में जार निकोलस द्वितीय का रूस एवं उसके पूरे साम्राज्य पर शासन था। मॉस्को के आस पास के क्षेत्र के अतिरिका रूसी साम्राज्य में फिनलैंड, लाटविया, लिथुआनिया, एस्तोनिया, पोलैंड, यूक्रेन बेलारूस के कुछ क्षेत्र भी समाहित थे। यह साम्राज्य मध्य एशिया तथा प्रशांत महासागर तक फैला था। मध्य एशियाई राज्यों में जॉर्जिया, आर्मेनिया अजरबैजान भी रूसी साम्राज्य के अंतर्गत आते थे। रूस में सबसे अधिक ऑर्थोडॉक्स क्रिश्वियैनिटी धर्म को मानने वाले लोग थे। इस धर्म का उदभव रूसी ऑर्थोडॉक्स वर्व से हुआ था। रूसी साम्राज्य के अंतर्गत रहने वालों में कैथोलिक, प्रोटेस्टेंट, मुस्लिम और बौद्ध भी शामिल थे। 

 

5. “यूरोप के किसानों की तुलना में रूसी किसान भिन्न थे।" इस कथन को स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर "यूरोप के किसानों की तुलना में रूसी किसान भिन्न थे।" इसे निम्नलिखित बिंदुओं द्वारा समझा जा सकता है 

• 20वीं सदी के प्रारंभ में रूस की 85% जनता आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर थी। फ्रांस में 40% और जर्मनी के 50% लोग कृषि कार्यों में संलग्न थे। 

रूस में किसान सामंतों का सम्मान नहीं करते थे तथा ये वाहते थे कि सामंत इन्हें मूमि वापस कर दें। 

रूसी कृषक समय समय पर अपनी भूमि संयुक्त लाभ के लिए इकट्ठा कर लेते थे तथा उनका समुदाय, निजी परिवारों की आवश्यकता के अनुसार इसे विभाजित करता था। ऐसा प्रवलन यूरोप के किसी भाग में नहीं हुआ। 

 

6. रूसी क्रांति से पूर्व श्रमिकों की आर्थिक दशा का वर्णन कीजिए। 

उत्तर रूसी क्रांति से पूर्व श्रमिकों की आर्थिक दशा अच्छी नहीं थी।

अधिकांश कारखाने उद्योगपतियों की निजी संपत्ति थे। हालांकि सरकारी विभाग द्वारा इन फैक्ट्रियों पर नजर रखी जाती थी कि मजदूरों को न्यूनतम वेतन मिले तथा कार्य करने का समय निश्चित रहे। 

मजदूर कारखानों में सामान्यतः 10-12 घंटे तक काम करते थे, वहीं कारीगरों की इकाइयों और वर्कशॉपों में काम प्रायः 15 घंटे तक होता था।

वर्ष 1914 में लगभग 31% महिलाएं फैक्ट्री में मजदूरी करती थीं, परंतु इन्हें मजदूरी पुरुषों की अपेक्षा कम मिलती थी। सामाजिक सार पर मजदूर बंटे हुए थे। कुछ मजदूर अपने मूल गांवों के साथ गहरे संबंध बनाए हुए थे। बहुत सारे मजदूर स्थायी रूप से ही बस चुके थे, उनके बीच योग्यचा और दक्षता के सार पर भी काफी अंतर था।

 

7. रूस के किन्हीं दो समाजवादी दल के नाम तथा इनकी विशेषता बताइए। 

उत्तर रूस के दो समाजवादी दल के नाम तथा इनकी विशेषताएं निम्नलिखित है 

(i) रूसी सामाजिक लोकतांत्रिक अमिक पार्टी- मार्क्स के विचारों को मानने वाले समाजवादियों ने 1898 . में रशियन सोशल डेमोक्रेटिक वर्कर्स पार्टी (रूसी सामाजिक लोकतांत्रिक श्रमिक पार्टी) का गठन किया था। इस पार्टी को सरकारी आतंक के कारण गैर कानूनी संगठन के रूप में कार्य करना पड़ता था। इस पार्टी ने अपना अखबार निकाला तथा मजदूरों को संगठित कर हड़ताल आदि कार्यक्रम आयोजित किए। 

(ii) सोशलिस्ट रिवोल्यूशनरी पार्टी- इसका गठन वर्ष 1900 में किया गया। इस पार्टी ने कृषकों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया तथा मांग की कि सामंतों द्वारा अधिकृत भूमि कृषकों को वापस कर दी जाए। 

 

8. वर्ष 1904 में रूसी मजदूरों की स्थिति को स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर वर्ष 1904 में रूसी मजदूरों की स्थिति दयनीय हो गई, क्योंकि इस समय आवश्यक वस्तुओं के दामों में बढ़ोतरी हो गई थी। इससे इनके वास्तविक वेतन में 20% की गिरावट गई। 

मजदूर संगठनों की सदस्यता में भी तेजी से वृद्धि हुई। असेंबली ऑफ रशियन वर्कर्स (गठन वर्ष 1904) अमिक सभा के चार सदस्यों को प्युतिलोव आयरन वर्क्स से हटा दिए जाने के कारण मजदूरों द्वारा आंदोलन करने की घोषणा कर दी। 

इसके कुछ ही दिनों बाद सेंट पीटर्सबर्ग के 1,10,000 मजदूर वेतन में वृद्धि, कार्यस्थितियों में सुधार और काम के घंटे को घटाकर आठ घंटे किए जाने की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए। 

 

9. खूनी रविवार क्या है? इस घटना के उपरांत कौन-सी घटनाएं घटीं

उत्तर वर्ष 1905 को रविवार के दिन पादरी गैपान के नेतृत्व में मजदूरों का जुलूस जार के महल (विंटर पैलेस) के समक्ष पहुँवा, तब कोसैक्स एवं पुलिस द्वारा मजदूरों पर आक्रमण कर दिया गया। इस घटना में बहुत से मजदूर मारे गए तथा कुछ घायल हो गए। इतिहास में इसी घटना को 'खूनी रविवार' की घटना के नाम से जाना गया। इसके उपरांत इस प्रकार की कई घटनाएँ धर्टी, जिन्हें वर्ष 1906 की क्रांति की संज्ञा दी गई है। कुछ घटनाएं इस प्रकार है 

देश में जगह जगह हड़तालें हुई। नागरिक स्वतंत्रता के अभाव में विद्यार्थियों द्वारा कक्षाओं का बहिष्कार किया गया तथा विश्वविद्यालय बंद कर दिए गए। 

इंजीनियर, डॉक्टर, वकील तथा मध्यम वर्गों द्वारा यूनियनऑफ यूनियंसनामक संविधान सभा का गठन किया गया। 

 

10. ड्यूमा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (NCERT) 

उत्तर रूसी संसद को ड्यूमा कहा जाता था। इसे राष्ट्रीय सभा भी कहते थे। रूस के जार निकोलस द्वितीय ने इसे मात्र एक सलाहकार समिति में बदल दिया था। इसमें केवल अनुदारवादी राजनीतिकों को ही स्थान दिया गया। पहली ड्यूमा को मात्र 75 दिन के अंतर्गत तथा दूसरी ड्यूमा को 3 महीने के अंतर्गत जार द्वारा बर्खास्त कर दिया गया। वस्तुतः जार अपनी सत्ता पर किसी तरह का अंकुश नहीं चाहता था। इसके परिणामस्वरूप मतदान कानूनों में परिवर्तन किया गया और तीसरी ड्यूमा में रूढ़िवादी राजनेताओं को मार दिया गया। उदारवादियों एवं क्रांतिकारियों को इस ड्यूमा से बाहर रखा गया था। 

 

11. रूसी उद्योग पर प्रथम विश्वयुद्ध का क्या प्रभाव पड़ा था? इससे संबंधित महत्त्वपूर्ण बिंदुओं को लिखिए। 

उत्तर रूसी उद्योग पर प्रथम विश्वयुद्ध का निम्न प्रभाव पड़ा 

देश में उद्योगों से मिलने वाली बाहरी आपूर्ति भी बंद हो गई, जिसे जर्मनी द्वारा रोक लिया गया था। 

वर्ष 1916 में रेलवे लाइनों को तोड़ दिया गया। 

स्वस्थ पुरुषों को युद्ध में मेजा दिया गया, जिसके कारण मजदूरों की कमी हो गई तथा छोटे-छोटे कारखाने बंद होने लगे। युद्ध में सेना को अनाज की अत्यधिक आवश्यकता से शहरों में अनाज की कमी हो गई। 

 

12. पेत्रोग्राद में फरवरी क्रांति की स्थिति कैसी थी? बताइए। 

उत्तर पेत्रोग्राद में फरवरी क्रांति की स्थिति अत्यंत चिंताजनक थी, जो निम्न प्रकार है 

नेवा नदी के दाएँ तट पर मजदूरों के कारखाने एवं क्वार्टर तथा विटर पैलेस एवं सरकारी इमारतें बाएँ तट पर थी। वर्ष 1917 में अत्यधिक ठंड पड़ने के कारण रूस में खाद्य पदार्थो की भारी कमी हो गई। संसदीय प्रतिनिधि यह नहीं चाहते थे कि जार द्वारा ड्यूमा को भंग किया जाए। 

• 22 फरवरी को नेवा नदी के दाएं तट पर स्थित एक फैक्ट्री में तालाबंदी कर दी गई। इसके अगले दिन इस समर्थन में कई फैक्ट्रियों में मजदूरों द्वारा हड़ताल करने की घोषणा कर दी। बहुत से कारखानों में औरतों द्वारा हड़ताल का नेतृत्व किया गया। उल्लेखनीय है कि इसी दिन को बाद में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस' का नाम दिया गया। 

 

13. ड्यूमा की बर्खास्तगी से संबंधित घटनाओं को बताइए। 

उत्तर ड्यूमा की बर्खास्तगी से संबंधित घटनाएँ निम्न प्रकार है

राजनेता ड्यूमा के निलंबन के विरुद्ध बोलने लगे। 

• 26 फरवरी को नेवा नदी के बाएँ किनारे की सड़कों पर प्रदर्शनकारियों ने पुनः वापसी की। 

• 27 फरवरी को इनके द्वारा पुलिस मुख्यालय पर आक्रमण करके इसे नष्ट कर दिया गया। 

रोटी, वेतन, काम के घंटों में कमी और लोकतांत्रिक अधिकारों के पक्ष में नारे लगाते असंख्य लोग सड़कों पर एकत्र हो गए। 

सरकार द्वारा स्थिति नियंत्रण के लिए सैनिक टुकड़ी बुलाई गई तथा इन्हें प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने के आदेश दिए गए परंतु सैनिकों ने इन पर गोली चलाने से मना कर दिया। 

 

14. वर्ष 1917 में जार का शासन क्यों खत्म हो गया? (NCERT) 

उत्तर वर्ष 1917 में जार का शासन खत्म होने के निम्नलिखित कारण थे 

रूस में वर्ष 1917 से पूर्व राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिस्थितियों अत्यंत शोचनीय थीं। रूसी गृहयुद्ध में लगभग 70 लाख लोग मारे गए थे। फसलों इमारतों के नष्ट हो जाने के कारण 30 लाख लोग शरणार्थी बन गए थे। सैनिकों ने युद्ध को जारी रखने के सरकार के फैसले से इंकार कर दिया, क्योंकि सैनिक युद्ध लड़ने के पक्ष में नहीं थे। 

• 22 फरवरी को एक सरकारी फैक्ट्री में सरकारी अधिकारियों द्वारा तालाबंदी कर दी गई, जिसके कारण मजदूरों (50 फैक्ट्रियों के) द्वारा हड़ताल की घोषणा कर दी गई। 

सरकार ने घुडसवार फौज को प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने के आदेश दिए, जिसे फौज ने मानने से इनकार कर दिया और मजदूरों से हाथ मिला लिया। 

 

15. रूस में गठित अंतरिम सरकार की असफलता के क्या कारण थे? वर्णन कीजिए। 

उत्तर रूस में गठित अंतरिम सरकार की असफलता के कारण निम्न थे 

(i) लेनिन अप्रैल, 1917 में लेनिन अपने निर्वासन से रूस वापस गया। इसने अपने विचार अप्रैल थीसिस के नाम से रखे। बोल्शेविक समर्थक सेना, फैक्ट्रियों तथा किसान वर्ग सभी ने इसके नेतृत्व को समर्थन दिया। 

(ii) व्यापारिक संघ तथा अन्य संस्थाएँ फरवरी क्रांति के पश्चात श्रमिक, संस्थाएँ तथा संघ बनाने के लिए स्वतंत्र थे। इसलिए व्यापारिक संघों की संख्या बढ़ गई। 

(iii) सरकार एवं बोल्शेविकों के बीच संघर्ष बोल्शेविकों एवं सरकार के बीच संघर्ष से सरकार कमजोर हो गई। 

(iv) माँग की पूर्ति होना अंतरिम सरकार श्रमिकों तथा आम लोगों की मांगों को पूर्ण करने में असफल रही। 

 

16. रूस में मजदूर आंदोलन के प्रभाव बताएँ। 

उत्तर रूस में मजदूर आंदोलन के निम्न प्रभाव हैं

रूस में गर्मियों में मजदूर आंदोलन और अधिक फैल गया। 

औद्योगिक क्षेत्रों में फैक्ट्री कमेटी का गठन होने लगा। 

ट्रेड यूनियनों की संख्या बढ़ गई तथा सेना में सिपाही समिति बनने लगी। 

जून में लगभग 500 सोवियतों ने अपने प्रतिनिधि अखिल रूसी सोवियत कांग्रेस में भेजे। 

अंतरिम सरकार की ताकत कमजोर होने लगी तथा बोल्शेविकों का प्रभाव बढ़ने लगा, सरकार द्वारा इस असंतोष को दबाने के लिए कठोर प्रयास किए गए। 

 

17. बोल्शेविकों ने अक्टूबर क्रांति के तुरंत बाद कौन-कौन से प्रमुख परिवर्तन किए?

(NCERT) 

उत्तर बोल्शेविकों ने अक्टूबर क्रांति के तुरंत बाद निम्नलिखित परिवर्तन किए 

(i) उद्योगों का राष्ट्रीयकरण बोल्शेविकों के आने से उद्योगों पर श्रमिकों का नियंत्रण स्थापित हो गया। सभी बैंकों, बीमा कंपनियों, बड़े उद्योगों, खानों, जल परिवहन तथा रेलवे का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। 

(ii) निजी संपत्ति का निषेध भूमि तथा उत्पादन के साधनों पर पूरे राष्ट्र की संपत्ति घोषित कर दी गई। उत्पादन के साधनों में निजी संपत्ति को समाप्त कर दिया गया।

(iii) लोगों के अधिकारों की घोषणा लोगों के अधिकारों का एक घोषणा पत्र जारी किया गया, जिसमें सभी जनगणों के लिए आत्म-निर्णय के अधिकार की घोषणा की गई। 

(iv) शांति लेनिन ने सत्ता में आने के तत्काल बाद प्रथम विश्वयुद्ध से पीछे हटने के अपने निर्णय की घोषणा की तथा जर्मनी के साथ ब्रेस्ट लिटोस्क में संधि की। 

 

18. रूस में गृहयुद्ध किन कारणों से हुआ? इससे संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्यों को बताइए। 

उत्तर रूस में गृहयुद्ध होने से संबंधित तथ्य इस प्रकार हैं 

रूस में अधिकतर सैनिक कृषक थे तथा भूमि पुनर्वितरण के आदेश से रूसी सेना छूटने लगी थी। 

गैर-बोल्शेविक सैनिकों, उदारवादियों तथा निरंकुशता के समर्थकों ने बोल्शेविकों के उदय की निंदा की। उनके नेता दक्षिणी रूस की ओर चले गए और वर्ष 1918 से 1919 के बीच बोल्शेविकों (लाल रूसी) से संघर्ष करने के लिए सेना का गठन करने लगे। ग्रीन वर्ग (समाजवादी क्रांतिकारी) तथा श्वेतों (जार समर्थक) का लगभग पूरे रूसी साम्राज्य पर नियंत्रण था। 

ग्रीन तथा श्वेतों को अमेरिकियों, फ्रांसीसी, ब्रिटिशों तथा जापानी सेनाओं का समर्थन प्राप्त था। 

बोल्शेविक उपनिवेशवादियों ने कई भागों में समाजवाद की सुरक्षा के नाम पर स्थानीय राष्ट्रवादियों का निर्ममतापूर्वक कत्ल कर दिया। 

 

19. श्रमिकों की स्थिति में सुधार के लिए कौन-से उपाय किए गए

उत्तर श्रमिकों की स्थिति में सुधार के लिए किए गए उपाय निम्न थे 

फैक्ट्री कामगारों एवं किसानों की शिक्षा के लिए विस्तृत शिक्षा व्यवस्था की शुरुआत की गई तथा इन्हें विश्वविद्यालय में प्रवेश दिलाने के लिए उचित व्यवस्था की गई।  

महिला मजदूरों के बच्चों के लिए फैक्ट्रियों में बालवाड़ियों खोली गई। 

सस्ती स्वास्थ्य सुविधा का आरंभ किया गया एवं मजदूरों के लिए आदर्श आवासीय क्षेत्र स्थापित किए गए। 

सरकार द्वारा किए गए ये सभी प्रयास सब जगह एक जैसे नहीं थे, क्योंकि सरकारी संसाधन सीमित थे। 

 

20. “स्तालिन ने खेती में सामूहिकीकरण को दोबारा शुरू किया।" इस कथन की विवेचना कीजिए। 

उत्तर वर्ष 1927-28 में रूस के शहरों में अनाज का भारी संकट पैदा हो

गया। सरकार ने अनाज की कीमत तय कर दी थी, लेकिन किसान उस कीमत पर सरकार को अनाज बेचने के लिए तैयार नहीं थे। स्तालिन ने स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए सट्टेबाजी पर अंकुश लगाना और व्यापारियों के पास जमा अनाज को जब्त कराना शुरू किया। जब इसके बाद भी अनाज की कमी बनी रही तो खेतों के सामूहिकीकरण का फैसला लिया गया। 

स्तालिन ने सामूहिकीकरण के लिए तर्क दिया कि अनाज की कमी इसलिए है, क्योंकि खेत बहुत छोटे-छोटे हैं। आधुनिक खेत विकसित करने और उन पर मशीनों की सहायता से औद्योगिक खेती करने के लिए किसानों से जमीन छीनना और राज्य नियंत्रित यानी सरकारी नियंत्रण वाले विशालकाय खेत बनाना जरूरी माना गया।

 

 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 

 

1. रूसी क्रांति से आप क्या समझते हैं? इसकी अर्थव्यवस्था पर प्रकाश डालिए। 

उत्तर वर्ष 1917 की अक्टूबर क्रांति के माध्यम से समाजवादियों ने रूस में

सरकार का अधिग्रहण किया। फरवरी, 1917 में राजतंत्र का अंत हुआ और अक्टूबर में रूस में घटी इन घटनाओं को ही रूसी क्रांति के नाम से जाना गया। 

अर्थव्यवस्था एवं समाज 

• 20वीं सदी के प्रारंभ में रूस की 85% जनता आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर थी। फ्रांस में 40% और जर्मनी के 50% लोग कृषि कार्यों में संलग्न थे। रूसी साम्राज्य के किसान अपनी आवश्यकताओं के साथ साथ बाजार के लिए भी पैदावार करते थे। रूस अनाज का एक बड़ा निर्यातक था। 

रूस के महत्त्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र अधिकांशतः सेंट पीटर्सबर्ग और मॉस्को में स्थित थे। हालांकि अधिकांश उत्पादन कारीगर द्वारा ही किया जाता था, लेकिन इनकी कारीगर वर्कशॉपों के साथ साथ बड़े बड़े कल कारखाने भी मौजूद थे। 

• 1990 . में रेलवे के विस्तार के कारण कई फैक्ट्रियों की शुरुआत हुई तथा इसके साथ ही विदेशी निवेशक मी बड़ी मात्रा में यहाँ पहुँचे। इसके परिणामस्वरूप कोयले का उत्पादन दो गुना तथा स्टील का उत्पादन चार गुना बढ़ गया। वर्ष 1900 तक कुछ क्षेत्रों में फैक्ट्री मजदूर और कारीगरों की संख्या लगभग एकसमान हो गई थी। 

 

2. ग्रामीण क्षेत्रों में कृषकों की स्थिति का वर्णन विस्तारपूर्वक कीजिए। 

उत्तर ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश जमीन पर कृषकों द्वारा फसलों की बुआई एवं कटाई की जाती थी, किंतु विशाल संपत्तियों पर कुलीन वर्ग, राजशाही तथा ऑर्थोडॉक्स बों ने अपना प्रभुत्व स्थापित कर रखा था। किसान भी कई वर्षों में बंटे थे तथा ये धार्मिक प्रवृति के थे। इनके मध्य सामंतों एवं नवाबों के लिए सम्मान नहीं था। कुलीनों को शक्ति जार को उनके द्वारा दी जाने वाली सेवा एवं निष्ठा से मिली थी, कि इनकी लोकप्रियता से। 

फ्रांसीसी क्रांति के दौरान ब्रिटनी के कमक कुलीनों का सम्मान करते थे तथा इनके लिए इन्होंने लड़ाइयों भी लड़ी, जबकि रूस के किसान शेष यूरोपीय कृषकों की अपेक्षा भिन्न थे। रूसी कृपक चाहते थे कि कुलीनों से जमीनें लेकर इनको दे दी जाएँ। ये कमी लगान नहीं चुकाते थे और इनके द्वारा कई जगहों पर जींदारों की हत्याएं भी की जाने लगी। वर्ष 1902 में दक्षिणी रूस तथा वर्ष 1905 में संपूर्ण रूस में ऐसी घटनाएँ घटने लगी। रूसी कृषक समय समय पर अपनी सारी जमीन कम्यून (मीर) को दे देते थे और कम्यून प्रत्येक कृषक परिवार की आवश्यकता के अनुसार भूमि वितरित करता था। 

 

3. रूस के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक हालात वर्ष 1905 से पहले कैसे थे?

(NCERT) 

उत्तर वर्ष 1905 से पूर्व रूस की सामाजिक स्थिति 

कृषकों की दयनीय दशा रूस में कृषि दासता 1861 . में समाप्त कर दी गई थी, परंतु इससे किसानों की दशा में सुधार नहीं हुआ था। इनके पास कृषि भूमि बहुत छोटी थी, परंतु इन खेतों का विमोचन शुल्क ये कई वर्षों तक देते रहे। इसके कारण इनमें सुधार के लिए इनके पास जी नहीं थी। इससे किसानों में मारी असंतोष व्याप्त था।

श्रमिकों की हीन दशा औद्योगिक क्रांति के कारण रूस में बड़े बड़े मूंजीपतियों ने लाभ कमाने के लिए मजदूरों का शोषण करना। आरंभ कर दिया। ये मजदूरों को कम वेतन देते तथा कारखानों में इनके साथ बुरा व्यवहार करते थे। ये महिलाओं एवं बच्चों से ऐसा ही व्यवहार करते थे। इसी कारण मजदूर एक होने लगे, परंतु वर्ष 1900 में इन पर हड़ताल करने एवं संघ बनाने पर रोक लगा दी गई। इन्हें किसी भी प्रकार के राजनीतिक अधिकार प्राप्त नहीं थे। अतः इनमें कोई सुधार होने की आशा नहीं थी। 

वर्ष 1905 से पूर्व रूस की आर्थिक स्थिति 

औद्योगिक पिछड़ापन रूस में औद्योगीकरण यूरोप की तुलना में बहुत देर से हुआ, जिसके कारण यहाँ औद्योगिक पिछड़ापन व्याप्त था। 

देशी पूँजी का अभाव रूस में उद्योग-धंधे लगाने के लिए पूंजी के अभाव के कारण विदेशी पूंजीपति रूस के घन को लूटकर स्वदेश पहुंचाते रहे। 

वर्ष 1905 से पूर्व रूस की राजनीतिक स्थिति 

रूस में जार का निरंकुश शासन था। वर्ष 1905 से पूर्व रूस की राजनीतिक स्थिति चिंताजनक थी। यहां की जनता अभी भी 'पुरानी दुनिया की तरह रह रही थी, क्योंकि वहाँ पर अभी तक यूरोप के अन्य देशों की भांति आर्थिक, सामाजिक राजनीतिक परिवर्तन नहीं हो रहे थे। रूस के किसान, अमिक और जनसाधारण की हालत बड़ी खराब थी। रूस में औद्योगीकरण देरी से शुरू हुआ। समाज में विषमता व्याप्त थी। राज्य जनता को कोई अधिकार देने को तैयार नहीं थी, क्योंकि उनका दैवी सिद्धांत में विश्वास प्रबल था। 

 

4. प्रथम विश्वयुद्ध से आप क्या समझते हैं? प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान रूस में कौन-सी घटनाएं घटीं? सविस्तार वर्णन करें। 

उत्तर वर्ष 1914 में यूरोपीय गठबंधनों के बीच युद्ध की शुरुआत हो गई, एक तरफ जर्मनी, ऑस्ट्रिया और तुर्की थे, दूसरी तरफ फ्रांस, ब्रिटेन रूस थे। इन सभी देशों के पास विशाल वैश्विक साम्राज्य थे, इसलिए यूरोप के साथ साथ यह युद्ध यूरोप के बाहर भी फैल गया था। इसे ही प्रथम विश्वयुद्ध कहा गया। 

प्रथम विश्वयुद्ध की शुरुआत में जार को रूसियों का समर्थन मिला, लेकिन जैसे जैसे युद्ध लंबा खिंचता गया, जार ने ड्यूमा में मौजूद मुख्य पार्टियों से सलाह लेनी छोड़ दी, इससे जनता का जार के प्रति जनसमर्थन कम होने लगा, रूस में जर्मन विरोधी भावनाएँ दिनोंदिन बलवती होने लगी। लोगों ने पीटर्सबर्ग (जर्मनी नाम) का नाम बदलकर पेत्रोग्राद रख दिया। 

रूस के सैनिकों को पूर्वी मोर्चे पर चल रही लड़ाई पश्चिम मोर्चे से ज्यादा कठिन लगी, क्योंकि पश्चिम में सैनिक पूर्वी फ्रांस की सीमा पर बनी खाइयों से लड़ाई लड़ रहे थे जबकि पूर्वी मोर्चे पर सेना ने काफी दूरी तय कर ली थी। पूर्वी मोर्चे पर बहुत सारे सैनिकों की मृत्यु हो रही थी। सेना की पराजय ने रूसियों का मनोबल तोड़ दिया। युद्ध से उद्योगों पर बुरा असर पड़ा। 

रूस के अपने उद्योग तो वैसे भी बहुत कम थे अब तो बाहर से मिलने वाली आपूर्ति भी बंद हो गई, क्योंकि बाल्टिक समुद्र पर जर्मनी का कब्जा हो गया था। इस काल में यूरोप के बाकी देशों के मुकाबले रूस के औद्योगिक उपकरण ज्यादा तेजी से बेकार होने लगे। वर्ष 1916 तक रेलवे लाइनें टूटने लगी, अच्छी सेहत वाले मदों को युद्ध में झोंक दिया गया, देशभर में मजदूरों की कमी होने लगी। ज्यादातर अनाज सैनिक का पेट भरने के लिए मोर्चे पर मेजा जाने लगा, शहरों में रहने वालों के लिए रोटी और आटे की समस्या पैदा होने लगी। 

 

5. वर्ष 1917 से पहले रूस की कामकाजी आबादी यूरोप के बाकी देशों के मुकाबले किन-किन स्तरों पर भिन्न थी? (NCERT) 

उत्तर वर्ष 1917 से पहले रूस की कामकाजी आबादी यूरोप के बाकी देशों

के मुकाबले निम्न कारणों से मिन्न थी 

• 20वीं सदी के प्रारंभ में रूस की 85% जनता आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर थी। फ्रांस के 40% और जर्मनी के 50% लोग कृषि कार्यों में संलग्न थे। 

रूसी साम्राज्य के किसान अपनी आवश्यकताओं के साथ-साथ बाजार के लिए भी पैदावार करते थे। रूस अनाज का एक बड़ा निर्यातक था। रूस के महत्त्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र अधिकांशतः सेंट पीटर्सबर्ग और मॉस्को में स्थित थे। हालांकि अधिकांश उत्पादन कारीगर द्वारा ही किया जाता था, लेकिन कारीगरों की वर्कशॉपों के साथ साथ बड़े बड़े कल कारखाने भी मौजूद थे। 

अधिकांश कारखाने उद्योगपतियों की निजी संपत्ति थे। हालांकि सरकारी विभाग द्वारा इन फैक्ट्रियों पर नजर रखी जाती थी कि मजदूरों को न्यूनतम वेतन मिले तथा कार्य करने का समय निश्वित रहे। जहाँ मजदूर कारखानों में सामान्यतः 10-12 घंटे तक काम करते थे, वहीं कारीगरों की इकाइयों और वर्कशॉपों में काम प्रायः 15 घंटे तक होता था। 

• 1990 . में रेलवे के विस्तार के कारण कई फैक्ट्रियों की शुरुआत हुई तथा इसके साथ ही विदेशी निवेशक भी बड़ी मात्रा में यहाँ पहुँचे, जिसके परिणामस्वरूप कोयले का उत्पादन दो गुना तथा स्टील का उत्पादन चार गुना बढ़ गया। वर्ष 1900 तक कुछ क्षेत्रों में फैक्ट्री मजदूर और कारीगरों की संख्या लगभग एकसमान हो गई थी। 

 

6. पेत्रोग्राद में फरवरी की क्रांति के लिए उत्तरदायी प्रमुख घटनाओं का उल्लेख कीजिए। 

उत्तर पेत्रोग्राद में फरवरी की क्रांति के लिए उत्तरदायी प्रमुख घटनाएँ निम्न प्रकार है

(i) पीटर्सवर्ग में भयंकर स्थिति वर्ष 1917 की सर्दियों में राजधानी पीटर्सबर्ग की स्थिति अत्यंत मयंकर थी। 

(ii) महिलाओं द्वारा हड़ताल का नेतृत्व 22 फरवरी को फैक्ट्रियों में तालाबंदी हो गई। अगले ही दिन 50 फैक्ट्रियों में कामगारों के समर्थन में हड़ताल हो गई। बहुत सी फैक्ट्रियों में महिलाओं द्वारा हड़ताल का नेतृत्व किया गया। 

(iii) हिंसक घटनाएँ अगले कुछ दिनों में कर्मियों ने अपनी मांगें मनवाने के लिए सरकार पर दबाव डाला, परंतु सरकार ने अश्वारोही सेना बुला ली। गलियों में लोगों के समूह रोटी, मजदूरी, काम के घंटे और लोकतंत्र की स्थापना के पक्ष में नारे लगा रहे थे। 

(iv) सोवियत की संरचना उसी शाम सैनिक तथा हड़ताली मजदूर सोविया या कौसिल की स्थापना के लिए एकत्र हो गए। 

(v) अंतरिग (अस्थायी) सरकार का गठन अगले ही दिन सोवियत नेता और संसद नेताओं ने देश चलाने के लिए अंतरिम सरकार का गठन कर लिया।

 

7. रूस में 24 अक्टूबर, 1917 की घटनाओं का वर्णन कीजिए। 

उत्तर रूस में 24 अक्टूबर, 1917 की घटना का वर्णन निम्नलिखित है 

बोल्शेविक पार्टी और पेत्रोग्राद सोवियत को लेनिन ने 16 अक्टूबर, 1917 को सत्ता पर अपना अधिकार जमाने के लिए सहमत कर लिया था। 

सोवियत द्वारा सैनिक क्रांतिकारी समिति का गठन लियॉन ट्रॉट्स्की के नेतृत्व में किया गया। 

विद्रोह की शुरुआत 24 अक्टूबर, 1917 को हुई थी। प्रधानमंत्री करेस्की सैन्य टुकड़ियों को इकट्ठा करने के लिए शहर से बाहर बले गए। 

• 24 अक्टूबर शाम को सरकार के सैनिकों ने दो बोल्शेविक अखबारों के दफ्तरों को घेर लिया। 

टेलीफोन और टेलीग्राम दफ्तरों पर नियंत्रण प्राप्त करने और चिंटर पैलेस की रक्षा करने के लिए सरकार ने सैनिकों को भेज दिया तथा क्रांतिकारी समितियों ने भी अपने समर्थकों को आदेश दिया कि सरकारी दफ्तरों पर कब्जा कर लें एवं मंत्रियों को गिरफ्तार कर ले। 

ऑरोरा नामक युद्धपोत द्वारा विंटर पैलेस पर बमबारी शुरू कर दी गई एवं अन्य युद्धपोतों ने नेवा के रास्ते से आगे बढ़ते हुए विभिन्न सैनिक स्थलों को अपने नियंत्रण में ले लिया। धीरे धीरे शाम तक पूरा शहर क्रांतिकारी समिति के नियंत्रण में चुका था और मंत्रियों ने आत्मसमर्पण कर दिया था।


केस स्टडी आधारित प्रश्न

 

निम्नलिखित स्रोत को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए 

यूरोप में 1815 . में जिस तरह सरकारें बनीं, उनसे छुटकारा पाने के लिए कुछ राष्ट्रवादी, उदारवादी और रैडिकल आंदोलनकारी क्रांति के पक्ष में थे। फ्रांस, इटली, जर्मनी और रूस में ऐसे लोग क्रांतिकारी हो गए और राजाओं के तख्तापलट का प्रयास करने लगे। राष्ट्रवादी कार्यकर्ता क्रांति के जरिए ऐसे 'राष्ट्रों की स्थापना करना चाहते थे, जिनमें सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त हों। 1815 . के बाद इटली के राष्ट्रवादी गिसेप्पे मेजिनी ने यही लक्ष्य प्राप्त करने के लिए अपने समर्थकों के साथ मिलकर राजा के खिलाफ साजिश रची थी। भारत सहित दुनियाभर के राष्ट्रवादी उसकी रचनाओं को पढ़ते थे। उन्नीसवीं सदी के मध्य तक यूरोप में समाजवाद एक जाना-पहचाना विचार था। उसकी तरफ बहुत सारे लोगों का ध्यान आकर्षित हो रहा था। 

समाजवादी निजी संपत्ति के विरोधी थे, यानी वे संपत्ति पर निजी स्वामित्व को सही नहीं मानते थे। उनका कहना था कि संपत्ति के निजी स्वामित्व की व्यवस्था ही सारी समस्याओं की जड़ है। वे ऐसा क्यों मानते थे? उनका तर्क था कि बहुत सारे लोगों के पास संपत्ति तो है, जिससे दूसरों को रोजगार भी मिलता है, लेकिन समस्या यह है कि संपत्तिधारी व्यक्ति को सिर्फ अपने फायदे से ही मतलब रहता है, वह उनके बारे में नहीं सोचता जो उसकी संपत्ति को उत्पादनशील बनाते हैं। इसलिए यदि संपत्ति पर किसी एक व्यक्ति के बजाय पूरे समाज का नियंत्रण हो तो साझा सामाजिक हितों पर ज्यादा अच्छी तरह प्यान दिया जा सकता है। 

 

(i) यूरोप में 1815 . में किस तरह की सरकारें बनी र्थी, जिनसे छुटकारा पाने के लिए विभिन्न विचारधाराओं के मानने वालों ने क्रांतियाँ की थी

(a) राजशाही प्रवृत्ति की सरकारें 

(b) जारशाही प्रवृत्ति की सरकारें 

(c) लोकतांत्रिक प्रवृत्ति की सरकारें

(d) साम्यवादी प्रवृत्ति की सरकारें 

उत्तर (a) राजशाही प्रवृत्ति की सरकारें 

 

(ii) राष्ट्रवादी कार्यकर्ता क्रांति के जरिए ऐसे राज्यों की स्थापना करना चाहते थे, जिसमें सभी नागरिकों को ....... | 

(a) समान अधिकार की प्राप्ति हो 

(b) राजशाही में समान भागीदारी हो 

(c) संपत्ति रखने का समान अधिकार हो

(d) न्याय से वंचित रखा जाए 

उत्तर (a) समान अधिकार की प्राप्ति हो 

 

(iii) समाज के पुनर्गठन की सबसे दूरगामी दृष्टि प्रदान करने वाली विचारधारा किसकी थी

(a) रैडिकल दृष्टिकोण वाले समूह की 

(b) उदारवादी दृष्टिकोण वाले समूह की 

(c) समाजवादी दृष्टिकोण वाले समूह की

(d) रूढ़िवादी दृष्टिकोण वाले समूह की 

उत्तर (c) समाज के पुनर्गठन की संभवतः सबसे दूरगामी दृष्टि प्रदान करने वाली विचार धारा समाजवादी दृष्टिकोण वाले समूह की थी। इस विचारधारा का दूरगामी होने का प्रमुख कारण समाज के प्रत्येक व्यक्ति की समस्या को समझना है। यह विचारधारा समानता की भावना से परिपूर्ण है। 

 

(iv) निम्नलिखित में से किसने 1815 . के बाद अपने समर्थकों के साथ मिलकर राजा के खिलाफ साजिश रची थी

(a) इटली के राष्ट्रवादी मुसोलिनी ने 

(b) इटली के राष्ट्रवादी गिसेप्मे मेजिनी ने 

(c) इटली के राष्ट्रवादी काबूर ने

(d) जर्मनी के नाजीवादी गोयवल्स ने 

उत्तर (b) इटली के राष्ट्रवादी गिसेमे मेजिनी ने 

 

(v) निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य है

(a) समाजवादी निजी संपति के स्वामित्व के पक्ष में कुछ शर्तों को उचित मानते थे 

(b) समाजवादी संपत्ति पर पूरे समाज के नियंत्रण के पक्षधर थे 

(c) कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स समाजवादी विचारधारक नहीं थे 

(d) समाजवादी का बदलाव क्षेत्र विशेष तक सीमित है

उत्तर (d) समाजवादी समाज में इस प्रकार का बदलाव चाहते हैं, जिसका समय अंतराल में बड़े पैमाने पर विस्तार हो। समाजवादी किसी भी दृष्टि से निजी संपत्ति के स्वामित्व को सही नहीं मानते हैं। कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स समाजवादी विचारधारा से संबंधित थे। कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स ने समाजवादी विचारधारा में नए तर्क पेश किए। 

 

(vi) कथन (A) ब्रिटेन, अमेरिका एवं फ्रांस आदि यूरोपीय देशों ने राजा को हटाने का प्रयास किया। 

कारण (R) अपनी विचारधारा के लिए गिसेप्पे मेजिनी कई देशों में प्रसिद्ध थे।

(a) A और R दोनों सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या है 

(b) A और B दोनों सही हैं, परंतु R, A की सही व्याख्या नहीं है 

(c) A सही है, किंतु R गलत है

(d) A गलत है, किंतु R सही है। 

उत्तर (d) फ्रांस, इटली, रूस एवं जर्मनी आदि यूरोपीय देशों ने राजा को हटाने का प्रयास किया था, जबकि इटली के राष्ट्रवादी नेता गिसेप्पे मेजिनी की विचारधारा ने केवल इटली को, बल्कि अन्य देशों के लोगों को भी प्रभावित किया। अतः A गलत है, किंतु R सही है।

 

केस स्टडी आधारित 

प्रश्न 1. निम्नलिखित स्रोत को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए 

महिला कामगार, अकसर .... अपने पुरुष सहकर्मियों को प्रेरित करती रहती ची... लोरेंज टेलीफोन फैक्ट्री में ... मार्फा वासीलेवा ने लगभग अकेले ही एक सफल हड़ताल को अंजाम दिया था। उसी दिन सुबह को महिला दिवस समारोह के मौके पर महिला कामगारों ने पुरुष कामगारों को लाल पट्टियाँ बाँधी थी। ... इसके बाद, मिलिंग मशीन ऑपरेटर का काम करने वाली माफ़ा वासीलेवा ने काम रोक दिया और आनन-फानन हड़ताल का आह्वान कर डाला। काम और मौजूद मजदूर उसके समर्थन को पहले ही तैयार थे।... फोरमैन ने इस बारे में प्रबंधकों को सूचित कर दिया और उसके लिए पावरोटी भिजवाई। उसने पावरोटी तो ले ली, लेकिन काम पर लौटने से इनकार कर दिया। 

जब प्रशासक ने उससे पूछा कि वह काम क्यों नहीं करना चाहती तो उसने पलटकर जवाब दिया किजब बाकी सारे भूखे हों तो मैं अकेले पेट भरने की नहीं सोच सकती।" मार्फा के समर्थन में फैक्ट्री के दूसरे विभाग में काम करने वाली महिलाएं भी इकट्ठी हो गई और धीरे-धीरे बाकी सारी औरतों ने भी काम रोक दिया। जल्दी ही पुरुषों ने भी औजार जमीन पर डाल दिए और पूरा हुजूम सड़क पर निकल आया। 

(i) उपरोक्त घटना किस क्रांति से संबंधित है

उत्तर उपरोका घटना वर्ष 1917 में हुई फरवरी क्रांति से संबंधित है। वर्ष 1917 में खाद्य पदार्थों की भारी कमी होने के कारण मजदूरों का जीवन बहुत कठिन हो गया। रूस में वर्ग विभाजन स्पष्टतः दिखने लगा तथा 22 फरवरी को नदी के दाएं तट पर स्थित फैक्ट्री में तालाबंदी कर दी गई, जिसके समर्थन में कई फैक्ट्रियों के मजदूरों द्वारा हड़ताल शुरू कर दी गई।

(i) किस दिन को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का नाम दिया गया

उत्तर फरवरी क्रांति के दौरान 8 मार्च को बहुत से कारखानों में महिलाओं ने हड़ताल का नेत्रत्व किया। इसी दिन को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का नाम दिया गया। इस अवसर पर महिला कामगारों ने पुरुष कामगारों को प्रतीकात्मक लाल पट्टियाँ बौधी थीं। 

(ii) मार्फा वासीलेवा की महिला हड़ताल में क्या भूमिका थी

उत्तर मार्फा वासीलेवा मिलिंग मशीन ऑपरेटर थीं। इन्होंने संपूर्ण हड़ताल का आदान किया। इनके समर्थन में फैक्ट्री के अन्य विभागों में कार्यरत महिलाओं ने भी हड़ताल का समर्थन किया तथा काम रोक दिया। इससे प्रभावित होकर सभी कामगार अपना काम छोड़कर हड़ताल में शामिल हो गए। 

 

2. निम्नलिखित स्रोत को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए 

जब बोल्शेविकों ने जमीन के पुनर्वितरण का आदेश दिया तो रूसी सेना टूटने लगी। ज्यादातर सिपाही किसान थे। वे भूमि पुनर्वितरण के लिए घर लौटना चाहते थे इसलिए सेना छोड़कर जाने लगे। गैर-बोल्शेविक समाजवादियों, उदारवादियों और राजशाही के समर्थकों ने बोल्शेविक विद्रोह की निंदा की। उनके नेता दक्षिणी रूस में इकट्ठा होकर बोल्शेविकों (रेड्स) से लड़ने के लिए टुकड़ियाँ संगठित करने लगे। 

वर्ष 1918 और 1919 में रूसी साम्राज्य के ज्यादातर हिस्सों पर सामाजिक क्रांतिकारियों (ग्रीन्स) और जार-समर्थकों (व्हॉट्स) का ही नियंत्रण रहा। उन्हें फ्रांसीसी, अमेरिकी, ब्रिटिश और जापानी टुकड़ियों का भी समर्थन मिल रहा था। ये सभी शक्तियाँ रूस में समाजवाद को फलते-फूलते नहीं देखना चाहती थीं। इन टुकड़ियों और बोल्शेविकों के बीच चले गृहयुद्ध के दौरान लूटमार, डकैती और भुखमरी जैसी समस्याएं बड़े पैमाने पर फैल गई। व्हॉट्स में जो निजी संपत्ति के हिमायती थे, उन्होंने जमीन पर कब्जा करने वाले किसानों के खिलाफ काफी सख्त रवैया अपनाया। उनकी इन हरकतों के कारण तो गैर-बोल्शेविकों के प्रति जनसमर्थन और भी तेजी से घटने लगा। जनवरी, 1920 तक भूतपूर्व रूसी साम्राज्य के ज्यादातर हिस्सों पर बोल्शेविकों का नियंत्रण कायम हो चुका था। उन्हें गैर-रूसी राष्ट्रवादियों और मुस्लिम जदीदियों की मदद से यह कामयाबी मिली थी। 

जहाँ रूसी उपनिवेशवादी ही बोल्शेविक विचारधारा के अनुयायी बन गए थे, वहाँ यह मदद काम नहीं सकी। मध्य एशिया स्थित खीवा में बोल्शेविक उपनिवेशकों ने समाजवाद की रक्षा के नाम पर स्थानीय राष्ट्रवादियों का बड़े पैमाने पर कत्लेआम किया। 

(i) वर्ष 1918 में लेनिन द्वारा असेंबली बर्खास्त करने के पीछे उनका क्या मत था

उत्तर वर्ष 1918 में लेनिन ने असेंबली बर्खास्त कर दी। इसके पीछे उनका मत था कि अनिश्चित परिस्थितियों में चुनी गई। असेंबली के मुकाबले अखिल रूसी सोवियत कांग्रेस ज्यादा लोकतांत्रिक संस्था है। 

(ii) गैर-बोल्शेविक समाजवादियों द्वारा बोल्शेविक विद्रोह की निंदा क्यों की गई?

उत्तर भूगि पुनर्वितरण के बोल्शेविकों के आदेशों के कारण रूसी सेना हताश होने लगी थी, क्योंकि रूसी सेना के अधिकांश सिपाही किसान वर्ग के थे। बोल्शेविकों द्वारा लिए गए इस निर्णय की उदारवादियों, राजशाही के समर्थकों एवं गैर बोल्शेविक समाजवादियों ने निंदा की थी। 

(iii) मध्य एशिया स्थित खीवा में स्थानीय राष्ट्रवादियों को क्यों मारा गया

उत्तर मध्य एशिया स्थित खीवा में बोल्शेविक उपनिवेशों द्वारा समाजवाद की रक्षा के नाम पर स्थानीय राष्ट्रवादियों को मारा गया। ये लोग स्थानीय राष्ट्रवादियों को समाजवाद के उल्लंघन के नाम पर मार रहे थे तथा इस स्थिति के कारण लोगों में असमंजस की स्थिति थी। 

 

3. निम्नलिखित स्रोत को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

 

स्रोत'' रूस में उदारवादियों द्वारा किए गए सुधार

रूस एक निरंकुश राजशाही था। अन्य यूरोपीय शासकों के विपरीत बीसवीं सदी की शुरुआत में भी जार राष्ट्रीय संसद के अधीन नहीं था। उदारवादियों ने इस स्थिति को खत्म करने के लिए बड़े पैमाने पर मुहिम चलाई। वर्ष 1905 की क्रांति के दौरान उन्होंने संविधान की रचना के लिए सोशल डेमोक्रेट और समाजवादी क्रांतिकारियों को साथ लेकर किसानों और मजदूरों के बीच काफी काम किया। रूसी साम्राज्य के तहत उन्हें राष्ट्रवादियों (जैसे पोलैंड में) और इस्लाम के आधुनिकीकरण के समर्थक जदीदियों (मुस्लिम-बहुल इलाकों में) का भी समर्थन मिला। 

(i) वर्ष 1905 की क्रांति के दौरान जार की क्या प्रतिक्रिया रही

उत्तर वर्ष 1905 की क्रांति के समय जार द्वारा निर्वाचित परामर्शदाता

संसद या ड्यूमा के गठन की मंजूरी दे दी गई। जार ने पहली ड्यूमा को 75 दिन तथा दूसरी ड्यूमा को 3 महीने के अंदर बर्खास्त कर दिया। साथ ही जार द्वारा मत देने के अधिकार से संबंधित कानून को बदल दिया तथा तीसरी ड्यूमा में रूढ़िवादी नेताओं को नियुक्त किया गया।

 

स्रोत'' रूस में मजदूर यूनियन के निर्माण

रूसी मजदूरों के लिए वर्ष 1901 का साल बहुत बुरा रहा। जरूरी चीजों की कीमतें इतनी तेजी से बढ़ीं कि वास्तविक वेतन में 20% तक की गिरावट गई। उसी समय मजदूर संगठनों की सदस्यता में भी तेजी से वृद्धि हुई। जब वर्ष 1901 में ही गठित की गई असेंबली ऑफ रशियन वर्कर्स (रूसी श्रमिक सभा) के चार सदस्यों को प्युतिलोव आयरन वर्क्स में उनकी नौकरी से हटा दिया गया तो मजदूरों ने आंदोलन छेड़ने का ऐलान कर दिया। अगले कुछ दिनों के भीतर सेंट पीटर्सबर्ग के 1,10,000 से ज्यादा मजदूर काम के घंटे घटाकर आठ घंटे किए जाने, वेतन में वृद्धि और कार्यस्थितियों में सुधार की मांग करते हुए हड़ताल पर चले गए। 

(ii) यूनियन ऑफ यूनियन की स्थापना किसके द्वारा की गई

उत्तर वर्ष 1905 की क्रांति के दौरान इंजीनियर, डॉक्टर, वकील तथा मध्यम वर्गों के कामगारों ने संविधान की मांग करते हुए यूनियन ऑफ यूनियन की स्थापना की।

 

स्रोत '' रूस में खूनी रविवार की घटना की पृष्ठभूमि

इसी दौरान जब पादरी गैपॉन के नेतृत्व में मजदूरों का एक जुलूस विंटर पैलेस (जार का महल) के सामने पहुंचा तो पुलिस और कोसैक्स ने मजदूरों पर हमला बोल दिया। इस घटना में 100 से ज्यादा मजदूर मारे गए और लगभग 300 घायल हुए। इतिहास में इस घटना को खूनी रविवार के नाम से याद किया जाता है।

(iii) वर्ष 1905 की क्रांति की शुरुआत किस घटना से हुई थी

उत्तर वर्ष 1905 की क्रांति की शुरुआत खूनी रविवार की घटना से हुई। वर्ष 1906 में रविवार के दिन पादरी गैपॉन के नेतृत्व में मजदूरों का जुलूस जार के महल के समक्ष पहुँचा, तब कोसैक्स एवं पुलिस द्वारा मजदूरों पर आक्रमण कर दिया गया। इस घटना में 100 से अधिक मजदूर मारे गए तथा 300 मजदूर घायल हुए। इतिहास में इसी घटना को खूनी रविवार की घटना के नाम से जाना जाता है।