UPSC Mains - IAS/APS Essay Question Papers (2013-2020)
2013
1- क्या औपनिवेशिक मानसिकता भारत की सफलता में बाधक हो रही है? (समाज)
2- जो बदलाव आप दूसरों में देखना चाहते हैं-पहले स्वयं में लाइए - गांधीजी (दर्शन)
3- राष्ट्र के विकास और सुरक्षा के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी सर्वाेपचार है (विज्ञान-प्रौद्योगिकी)
4- सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के साथ-साथ सकल घरेलू खुशहाली (GDH) देश की सम्पन्नता के मूल्यांकन के सही सूचकांक होंगे (अर्थव्यवस्था)
2014
1- अधिकार (सत्ता) बढ़ने के साथ उत्तरदायित्व भी बढ़ जाता है (दर्शन)
2- क्या प्रतिस्पर्धा का बढ़ता स्तर युवाओं के हित में है? (समाज)
3- क्या मानकीकृत परीक्षण शैक्षिक योग्यता या प्रगति का बढि़या माप है? (शिक्षा)
4- शब्द दो-धारी तलवार से अधिक तीक्ष्ण होते हैं (दर्शन)
5- क्या यह नीति-गतिहीनता थी या कि क्रियान्वयन गतिहीनता थी, जिसने हमारे देश की संवृद्धि को मंथर बना दिया था? (अर्थव्यवस्था)
6- क्या स्टिंग ऑपरेशन निजता पर एक प्रहार है? (मीडिया)
7- ओलम्पिक में पचास स्वर्ण पदकः क्या भारत के लिये यह वास्तविकता हो सकती है? (खेल)
8- पर्यटनः क्या भारत के लिये यह अगला बड़ा प्रेरक हो सकता है? (अर्थव्यवस्था)
2015
1- किसी को अनुदान देने से उसके काम में हाथ बँटाना बेहतर है (दर्शन)
2- किसी संस्था का चरित्र चित्रण, उसके नेतृत्व में प्रतिबिंबित होता है (राजनीति)
3- क्या पूंजीवाद द्वारा समावेशित विकास हो पाना संभव है? (अर्थव्यवस्था)
4- प्रौद्योगिकी मानव शक्ति को विस्थापित नहीं कर सकती (विज्ञान-प्रौद्योगिकी)
5- फुर्तीला, किंतु संतुलित व्यक्ति ही दौड़ में विजयी होता है (दर्शन)
6- भारत के सम्मुख संकट-नैतिक या आर्थिक (दर्शन)
7- मूल्यों से वंचित शिक्षा, जैसी अभी उपयोगी है, व्यक्ति को अधिक चतुर शैतान बनाने जैसी लगती है (शिक्षा)
8- वे सपने जो भारत को सोने न दे (राजनीति)
2016
1- आवश्यकता लोभ की जननी है तथा लोभ का आधिक्य नस्लें बर्बाद करता है (दर्शन)
2- डिजिटल अर्थव्यवस्थाः एक समताकारी या आर्थिक असमता का स्रोत (विज्ञान-प्रौद्योगिकी)
3- नवप्रवर्तन आर्थिक संवृद्धि और समाज कल्याण का अपरिहार्य कारक है (सामाजिक विकास)
4- भारत में लगभग रोजगारविहीन समृद्धिः आर्थिक सुधार की विसंगति या परिणाम (अर्थव्यवस्था)
5- संघीय भारत में राज्यों के बीच जल विवाद (राजनीति)
6- सहकारी संघवादः मिथक अथवा यथार्थ (राजनीति)
7- साइबर स्पेस और इंटरनेटः दीर्घ अवधि में मानव सभ्यता के लिए वरदान अथवा अभिशाप (विज्ञान-प्रौद्योगिकी)
8- स्त्री पुरुषों के समान सरोकारों को शामिल किए बिना विकास संकटग्रस्त है (सामाजिक विकास)
2017
1- क्या गुटनिरपेक्ष आंदोलन (नाम) एक बहूध्रुवीय विश्व में अपनी प्रासंगिकता खो बैठा है? (राजनीति)
2- भारत में अधिकतर कृषकों के लिए कृषि जीवन निर्वाह का एक सक्षम स्रोत नहीं रही है (अर्थव्यवस्था)
3- भारत में ‘नए युग की नारी’ की परिपूर्णता एक मिथक है (समाज)
4- भारत में संघ और राज्यों के बीच राजकोषीय संबंध पर नए आर्थिक उपायों का प्रभाव (राजनीति)
5- राष्ट्र के भाग्य का स्वरूप-निर्माण उसकी कक्षाओं में होता है (राजनीति)
6- ‘सोशल मीडिया’ अंतर्निहित रूप से एक स्वार्थपरायण माध्यम है (मीडिया)
7- हम मानवीय नियमों का तो साहसपूर्वक सामना कर सकते हैं, परंतु प्राकृतिक नियमों का प्रतिरोध नहीं कर सकते (पर्यावरण)
8- हर्ष कृतज्ञता का सरलतम रूप है (दर्शन)
2018
1- ‘अतीत’ मानवीय चेतना तथा मूल्यों का स्थायी आयाम है (दर्शन)
2- एक अच्छा जीवन प्रेम से प्रेरित तथा ज्ञान से संचालित होता है (दर्शन)
3- कहीं पर भी गरीबी हर जगह की समृद्धि के लिए ऽतरा है (अर्थव्यवस्था)
4- जलवायु परिवर्तन के प्रति सुनम्य भारत हेतु वैकल्पिक तकनीकें (पर्यावरण)
5- जो समाज अपने सिद्धांतों के ऊपर अपने विशेषाधिकाराें को महत्व देता है, वह दोनों से हाथ धो बैठता है (समाज)
6- भारत के सीमा विवादों का प्रबंधन-एक जटिल कार्य (राजनीति)
7- यथार्थ आदर्श के अनुरूप नहीं होता, बल्कि उसकी पुष्टि करता है (दर्शन)
8- रूढि़गत नैतिकता आधुनिक जीवन का मार्गदर्शक नहीं हो सकती (समाज)
2019
1- कृत्रिम बुद्धि का उत्थानः भविष्य में बेरोजगारी का खतरा अथवा पुनरकौशल और उच्च कौशल के माध्यम से बेहतर रोजगार के सर्जन का अवसर (विज्ञान-प्रौद्योगिकी)
2- दक्षिण एशियाई समाज सत्ता के आसपास नहीं, बल्कि अपनी अनेक संस्कृतियों और विभिन्न पहचानों के ताने-बाने से बने हैं (समाज एवं संस्कृति)
3- पक्षपातपूर्ण मीडिया भारत के लोकतंत्र के समक्ष एक वास्तविक खतरा है (मीडिया)
4- प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा की उपेक्षा भारत के पिछड़ेपन के कारण हैं (शिक्षा/स्वास्थ्य)
5- मूल्य वे नहीं जो मानवता है, बल्कि वे हैं जैसा मानवता को होना चाहिए (दर्शन)
6- विवेक सत्य को खोज निकालता है (दर्शन)
7- व्यक्ति के लिए जो सर्वश्रेष्ठ है, वह आवश्यक नहीं कि समाज के लिए भी हो (समाज)
8- स्वीकारोक्ति का साहस और सुधार करने की निष्ठा सफलता के दो मंत्र हैं (दर्शन)
2020
1) मनुष्य होने और मानव बनने के बीच का लम्बा सफर ही जीवन है
2) विचारपरक संकल्प स्वयं के शांतचित्त रहने का उत्प्रेरक है )
3) जहाज अपने चारों तरफ के पानी के वजह से नहीं डूबा करते, जहाज पानी के अंदर समां जाने की वजह से डूबता हैं
4) सरलता चरम परिष्करण है
5) जो हम है, वह संस्कार; जो हमारे पास है, वह सभ्यता
6) बिना आर्थिक समृद्धि के सामाजिक न्याय नहीं हो सकता, किन्तु बिना सामाजिक न्याय के आर्थिक समृद्धि निरर्थक है
7) पितृ-सत्ता की व्यवस्था नजर मैं बहुत काम आने के बावजूद सामाजिक विषमता की सबसे प्रभावी संरचना है
8) अंतर्राष्ट्रीय संबंधों मैं मौन करक के रूप मैं प्रौद्योगिकी
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