Class
11
Chapter-5
The Ailing Planet: The Green Movement’s Role
Book-Hornbill
NCERT
– Solutions
Understanding the Text
Q.1.
Locate the lines in the text that support the title 'The Ailing Planet'.
(पाठ में उन पक्तियों का पता लगाओ जो इसके शीर्षक 'रोगी ग्रह' का अनुमोदन करती हैं।)
Ans. The lines supporting the title 'The Ailing Planet'
are :
(a) A scorched planet of advancing
deserts, impoverished landscapes and ailing environment.
(b) Fisheries collapse, forests
disappear, grasslands are converted into barren wastelands and croplands
deteriorate.
(c) Local forests are being
decimated.
(d) Several species of life face
extinction
(e) The earth's vital signs reveal a
patient in declining health.
(f) "Are we to leave our
successors a scorched planet of advancing deserts, impoverished landscapes and
ailing environment?"
(शीर्षक, 'बीमार ग्रह' का समर्थन करने वाली पंक्तियाँ हैं
(a) बढ़ते हुए मरुस्थल, बिगड़े हुए परिदृश्यों और रोगी पर्यावरण वाला जला-भुना हुआ पृथ्वी ग्रह।
(b) मछली उद्योग समाप्त हो जाता है, वन लुप्त हो जाते हैं, घास के मैदान बंजर भूमि में बदल जाते हैं व फसलों की जमीन क्षीण हो जाती है।
(c) स्थानीय वनों का विनाश हो रहा है।
(d) जीवन की कई प्रजातियाँ विलुप्ती के कगार पर हैं।
(e) पृथ्वी के महत्त्वपूर्ण संकेत स्वास्थ्य में गिरावट में एक रोगी को प्रकट करते हैं।
(f) "क्या हम अपने उत्तराधिकारियों के लिए बढ़ते हुए मरुस्थल, बिगड़े हुए परिदृश्यों और रोगी पर्यावरण वाला जला-भुना ग्रह छोड़कर जाएंगे?")
Q.2. What
does the notice 'The world's most dangerous animal' at a cage in the zoo at
Lusaka, Zambia, signify?
(जाम्बिया के लुसाका के चिड़ियाघर में एक पिंजरे पर लिखी सूचना "विश्व का सर्वाधिक खतरनाक पशु" का क्या महत्त्व है?)
Ans. The notice placed at the cage in the zoo at
Lusaka, Zambia read, 'The world's most dangerous animal.' There is no animal in
the cage. There is a mirror in it. One sees his own reflection in the zoo. It
signifies that man himself is the most dangerous animal. He is responsible for
the deterioration of ecology and environment. It points out the fact that human
beings have caused a lot of harm to the ecology of our earth and they have
degraded the environment.
(जाम्बिया के लुसाका में चिड़ियाघर में पिंजरे में रखी गई सूचना पढ़ी, 'विश्व का सबसे खतरनाक पशु'। पिंजरे में कोई पशु नहीं है। वहाँ एक दर्पण है। चिड़ियाघर में प्रत्येक व्यक्ति अपना प्रतिबिम्ब देखता है। यह दर्शाता है कि मनुष्य स्वयं सबसे खतरनाक पशु है। वह पारिस्थितिकी और पर्यावरण के बिगड़ने के लिए जिम्मेदार है। यह इस तथ्य को इंगित करता है कि मानव ने हमारी पृथ्वी की पारिस्थितिकी को बहुत नुकसान पहुंचाया है और उन्होंने पर्यावरण को निम्न कोटि का कर दिया है।)
Q.3. How
are the earth's principal biological systems being depleted ?
(पृथ्वी की मुख्य जैव प्रणालियां कैसे क्षीण हो रही हैं?)
Ans. The earth's principal biological systems are four.
They are fisheries, forests, grasslands and croplands. These are the foundation
of the global economy. Their productivity has become impaired due to human
pressure on them. Forests have been cleared. Grasslands have converted into
barren wasteland. Forests are cut down for fuel. Fishing is exploited on a
large scale for protein. The world's increasing population is the cause behind
the depletion of these biological systems.
(पृथ्वी की प्रमुख जैविक प्रणाली चार हैं। वे मत्स्य पालन, वन, घास के मैदान और फसल की भूमि हैं। ये वैश्विक अर्थव्यवस्था की नींव हैं। इन पर मानवीय दबाव के कारण इनकी उत्पादकता क्षीण हो गई है। जंगल साफ हो गए हैं। घास के मैदान बंजर भूमि में परिवर्तित हो गए हैं। ईंधन के लिए जंगलों को काट दिया जाता है। प्रोटीन के लिए बड़े पैमाने पर मछली पकड़ने का काम किया जाता है। दुनिया की बढ़ती आबादी इन जैविक प्रणालियों के ह्रास के पीछे का कारण है।)
Q.4. Why
does the author aver that the growth of world population is one of the strongest
factors distorting the future of human society?
(लेखक क्यों कहता है कि विश्व की जनसंख्या मानव समाज के भविष्य को बिगाड़ने वाले सशक्त तत्वों में से एक है?)
Ans. The world's population has grown fast since the
year 1800. At present the population of the world has reached 5.7 billion.
Forest cover is deteriorated due to population pressure in the expansion of
deserts. Grasslands are becoming barren. Natural resources are depleting fast.
The environment has deteriorated upto the critical point. The existence of man
himself is threatened. Many species of life have faced total extinction. Thus
the population growth is one of the strongest factors distorting the future of
human society.
(दुनिया की आबादी वर्ष 1800 से तेजी से बढ़ी है। वर्तमान में दुनिया की आबादी 5.7 अरब हो गई है। जनसंख्या के दबाव के कारण वन का क्षेत्र बिगड़ गया है। इसके परिणामस्वरूप रेगिस्तान का विस्तार होता है। घास के मैदान बंजर होते जा रहे हैं। प्राकृतिक संसाधन तेजी से घटते जा रहे हैं। पर्यावरण की स्थिति गम्भीर होती जा रही है। स्वयं मनुष्य के अस्तित्व को खतरा है। जीवन की कई प्रजातियों को पूर्ण विलुप्त होने का सामना करना पड़ा है। जनसंख्या वृद्धि मानव समाज के भविष्य को बिगाड़ने वाले सबसे मजबूत कारणों में से एक है।)
Talking
About the Text
• Discuss
the following statements in groups of four.
Q.1. Laws
are never respected nor enforced in India.
(भारत में कानूनों का आदर कभी नहीं किया जाता है और न ही उन्हें लागू किया जाता है।)
Ans. This is indeed a sad truth. If laws were respected
or enforced in India, it could have been a heaven on earth. Take for example
the laws made for the protection of the environment. The State is legally and
constitutionally supposed to improve the environment and safeguard the forests
and wildlife of the country. However the truth is that the environment is being
constantly polluted and the wildlife destroyed. Again our constitution says
that casteism, untouchability and bonded labour shall be abolished but they
flourish shamelessly even after fifty-five years of the operation of the
constitution. The large areas of land officially designated as forest land are
almost treeless. This can be seen in almost every aspect of the country's life.
Dowry is prohibited by law but one can see people openly demanding, offering
and accepting dowry. These and many other such things have made the masses lose
the fear of law.
(यह वास्तव में एक दुखद सत्य है। भारत में कानूनों का सम्मान किया गया होता और लागू किया गया होता तो यह पृथ्वी पर एक स्वर्ग हो सकता था। उदाहरण के लिए पर्यावरण की सुरक्षा के लिए बनाए गए कानून। राज्य कानूनी रूप से और संवैधानिक रूप से पर्यावरण में सुधार लाने और देश के वनों और वन्यजीवों की रक्षा करने के लिए प्रयास करते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि पर्यावरण लगातार प्रदूषित हो रहा है और वन्यजीव नष्ट हो रहे हैं। फिर से हमारा संविधान कहता है कि जातिवाद, अस्पृश्यता और बंधुआ मजदूरी को समाप्त कर दिया जाएगा, लेकिन वे संविधान के संचालन के 55 साल बाद भी निर्बाध रूप से फलते-फूलते हैं। अधिकारिक तौर पर वन भूमि के रूप में नामित भूमि के बड़े क्षेत्र लगभग पेड़रहित हैं। देश के जीवन के लगभग हर पहलू में इसे देखा जा सकता है। दहेज कानून द्वारा निषिद्ध है, लेकिन लोग दहेज की मांग, प्रस्ताव और स्वीकृति को खुले तौर पर देख सकते हैं। इस तरह अन्य चीजों में भी जनता ने कानून का भय खो दिया है।)
Q.2.
"Are we to leave our successors a scorched planet of advancing deserts,
impoverished landscapes and an ailing environment ?"
("क्या हम अपने उत्तराधिकारियों के लिए बढ़ते हुए मरुस्थलों का जला-भुना ग्रह, कंगाल भू-दृश्य व रोगग्रस्त पर्यावरण छोड़ कर जाएंगे?")
Ans. It certainly seems possible that we might leave a
scorched planet of advancing deserts and an ailing environment to future
generations. The earth has four chief biological systems fisheries, forests,
grasslands and croplands. These systems not only supply us food but also the
raw material for our industry. In many parts of the earth, human intake from
these systems is more than the systems can support. These systems have reached
a level where their productivity is impaired. When this happens, fisheries
collapse, forests disappear, grasslands are converted into barren lands and
croplands become less productive. People are eating more and more fish in
search of protein. The poor burning more and more wood as fire. So the fish
disappear and the forests deplete.
(यह निश्चित रूप से सम्भव है कि हम भविष्य की पीढ़ियों के लिए मरुस्थलों और रोगी पर्यावरण को आगे बढ़ाने वाला एक जला-भुना हुआ ग्रह छोड़ सकते हैं। पृथ्वी की चार मुख्य जैविक प्रणालियाँ हैं—मत्स्य पालन, वन, घास के मैदान और फसल के लिए भूमि। ये प्रणालियाँ न केवल भोजन की बल्कि हमारे उद्योग के लिए कच्चे माल की भी आपूर्ति करती हैं। पृथ्वी के कई हिस्सों में इन प्रणालियों से मानव का सेवन प्रणालियों द्वारा समर्थन किए जाने से अधिक है। ये प्रणालियाँ एक स्तर पर पहुंच गई हैं जहाँ उनकी उत्पादकता खराब है। जब ऐसा होता है तो मछली उद्योग समाप्त हो जाता है, वन लुप्त हो जाते हैं, घास के मैदान बंजर भूमि में बदल जाते हैं और फसलों की जमीन क्षीण हो जाती है। लोग प्रोटीन की तलाश में अधिक-से-अधिक मछली खा रहे हैं। गरीब लोग आग के रूप में अधिक-से-अधिक जंगल जला रहे हैं। इसलिए मछलियाँ लुप्त हो गई हैं और जंगल खाली हो गए हैं।)
Q.3.
"We have not inherited this earth from our forefathers; we have borrowed
it from our children".
("हमने यह पृथ्वी अपने पूर्वजों से उत्तराधिकार में प्राप्त नहीं की. हमने इसे अपने बच्चों से उधार लिया है")
Ans. This is a statement made by Mr Lester Brown, the
author of the book "The Global Economic Prospect". Mr Brown has in
his mind the well known belief that the property which we inherit from our
forefathers is ours and we can do whatever we like with it. So he as that the
earth is not for us to use or abuse it as we like. It is something which we are
duty-bound to preserve for the next generations. So while we use the earth and
its resources for our present needs, it is our duty to see that we do not
compromise the ability of the future generations to meet their needs. It is,
therefore, very important that we do not strip the natural world of resources
future generation would need. Even more important is the fact that we do not
pollute these resources which make them useless or harmful
(यह कथन मि० लेस्टर ब्राउन द्वारा दिया गया है, जो "दि ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट" के लेखक हैं। मि0 ब्राउन के मन में यह अच्छी तरह से ज्ञात धारणा है कि जो सम्पत्ति हमें अपने पूर्वजों से विरासत में मिली है वह हमारी है और हम उसके साथ वह कर सकते हैं जो हमें अच्छा लगता है। इसलिए वह पहले यह याद रखने के लिए कहता है कि पृथ्वी हमारे लिए उपयोग या दुरुपयोग करने के लिए नहीं है जैसा हम चाहते हैं। यह ऐसी चीज है जिसे हम अगली पीढ़ियों के लिए संरक्षित करने के लिए बाध्य हैं। इसलिए जब हम अपनी वर्तमान जरूरतों के लिए पृथ्वी और उसके संसाधनों का उपयोग करते हैं, तो यह हमारा कर्तव्य है कि हम उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए भावी पीढ़ियों की क्षमता से समझौता न करें। इसलिए, यह बहुत महत्त्वपूर्ण है कि हम संसाधनों की प्राकृतिक दुनिया को न छीनें, भावी पीढ़ी को इसकी आवश्यकता होगी। अधिक महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि हम इन संसाधनों को प्रदूषित न करें, जो इनका उपयोग कम या हानिकारक बनाते हैं।)
Q.4. The
problems of overpopulation that directly affect our everyday life.
(अत्यधिक जनसंख्या की समस्याएं जो हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित करती हैं।)
Ans. The problems of overpopulation directly affect our
daily life. The basic needs of human beings are-food, clothes and a house. Now
the capacity of the earth to give us these things is not unlimited. This earth
used to support about one billion people at the end of the eighteenth century
i.e. about the year 1800 but the same earth has to support now a population of
about six billion people. It is therefore, natural that we find it more and
more difficult to provide the basic needs for all the inhabitants of the earth.
Just a few decades back, getting admission in a school of our choice was not at
all difficult. It is not so any longer. The colleges used to allow admission
even to failures which is impossible to think now. Cotton clothes were the only
clothes that the mankind used but now artificial fibre is used and even that
has become very costly. Thus overpopulation is affecting our everyday
life.
(अत्यधिक जनसंख्या की समस्या सीधे हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित करती है। मनुष्य की मूलभूत आवश्कताएं- भोजन, कपड़े और घर हैं। अब हमें इन चीजों को देने के लिए पृथ्वी की क्षमता असीमित नहीं है। यह पृथ्वी 18वीं शताब्दी के अन्त में लगभग 1 अरब लोगों का समर्थन करती थी अर्थात् वर्ष 1800 के आस-पास लेकिन उसी पृथ्वी को अब लगभग 6 अरब लोगों की आबादी का समर्थन करना है। इसलिए यह स्वाभाविक है कि हम पृथ्वी के सभी निवासियों के लिए बुनियादी जरूरतों को प्रदान करने के लिए अधिक-से-अधिक कठिन पाते हैं। कुछ दशक पहले, हमारी पसन्द के स्कूल में दाखिला लेना बिल्कुल भी मुश्किल नहीं था। अब ऐसा नहीं है। कॉलेज विफल लोगों के लिए प्रवेश की अनुमति देते थे जो अब सोचना असम्भव है। सूती कपड़े एकमात्र ऐसे कपड़े थे जिनका मानव जाति उपयोग करती थी लेकिन अब रेशम के वस्त्रों का उपयोग किया जाता है और यहाँ तक कि बहुत महंगा भी हो गया है। इस प्रकार अत्यधिक जनसंख्या हमारे रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित कर रही है।)
EXAM
ORIENTED QUESTIONS
परीक्षोपयोगी
Short Answer Type Questions
Q.1. What
was the effect of the Green Movement ?
(हरित आन्दोलन का क्या प्रभाव था?)
Ans. The Green movement which started in the year
1969-1970 was the first nationwide movement. After this movement we have
shifted from the mechanistic view to a holistic and ecological view of the
world. The movement didn't see back after it.
(हरित आन्दोलन जो वर्ष 1969-1970 में शुरू हुआ था, पहला देशव्यापी आन्दोलन था। इस आन्दोलन के बाद ही हमने मशीनीकरण का त्यागकर समग्र दृष्टिकोण को अंगीकार करते हुए पारिस्थितिकी को महत्त्व दिया। आन्दोलन ने उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा।)
Q.2. What
did Copernicus teach to mankind ?
(कॉपरनिकस ने मानवता को क्या सिखाया?)
Ans. Copernicus taught to mankind in the sixteenth
century that the earth and the other planets revolve round the sun. Before him,
there were many myths and superstitions in the thoughts of people of those days.
(कॉपरनिकस ने सोलहवीं शताब्दी में मानवता को सिखाया कि पृथ्वी और दूसरे ग्रह सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। उससे पहले उस समय के लोगों में अनेक मिथक व अन्धविश्वास व्याप्त थे।)
Q.3. What
is the idea of sustainable development?
(सतत विकास का विचार क्या है?)
Ans. The idea/concept of sustainable development was
popularized in 1987 by the World Commission on Environment and Development.
This concept says "Development that meets the needs of the present,
without compromising the ability of future generations to meet their
needs," means without stripping the natural world of resources future
generation would need.
(सन् 1987 में विश्व पर्यावरण और विकास आयोग ने ऐसा विकास जो स्थायी गति से चलता रहे, ऐसे विचार को लोकप्रिय बनाया। यह विचार कहता है "विकास जो बिना भावी पीढ़ियों की आवश्यकताओं को पूरा करने की योग्यता से समझौता करके वर्तमान की आवश्यकताओं को पूरा करे" अर्थात् संसाधनों की प्राकृतिक दुनिया से आने वाली पीढ़ियों को बिना वंचित करके, जिनकी उन्हें आवश्यकता होगी।)
Q.4. What
is in the zoo at Lusaka, Zambia ?
(लुसाका, जाम्बिया में चिड़ियाघर में क्या है?)
Ans. In the zoo at Lusaka, Zambia, there is a cage
where the notice reads, "The World's most dangerous animal'. And inside
the cage there is no animal but a mirror where you see yourself.
(लुसाका,जाम्बिया में एक चिड़ियाघर में, एक पिंजड़ा है जहाँ एक संदेश/सूचना लिखी हुई है 'संसार का सबसे खतरनाक जानवर'। पिंजड़े के अन्दर कोई जानवर नहीं है बल्कि एक दर्पण है जिसमें आप अपने को देखते हैं।)
Q.5. How
many species are still uncatalogued by the biologists ?
(जीव-विज्ञानियों द्वारा अभी भी कितनी प्रजातियों को नाम नहीं दिया गया है?)
Ans. Biologists reckon that about three to a hundred
million other living species still uncatalogued on this earth whereas about 1.4
million living species shares this earth with mankind.
(जीव विज्ञानियों का अनुमान है कि लगभग तीस लाख से दस करोड़ के बीच अन्य जैव प्रजातियाँ अब भी नामकरण से धूचित हैं जबकि चौदह लाख जैव प्रजातियाँ मानव के साथ सहअस्तित्त्व में इस पृथ्वी पर विचरण कर रही हैं।)
Q.6. What
was the first Brandt report?
(पहली ब्रांट रिपोर्ट क्या थी?)
Ans. Brandt Commission was formed to deal with the
question of ecology and environment having a distinguished Indian as one of its
members: Mr L.K.Jha. The first brandt report raised the question-"Are we
to leave our successors a scorched planet of advancing desert, impoverished
landscapes and ailing environment?"
(ब्रांट आयोग पारिस्थितिकी और पर्यावरण के प्रश्न के मामलों के सम्बन्ध में तैयार की गई थी जिसके मि०एल०के० झा एक सम्मानित सदस्य है। पहली ब्रांट रिपोर्ट ने प्रश्न उठाया “क्या हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को एक बढ़ते हुए रेगिस्तान, कमज़ोर हो चुकी धरती और बीमार पर्यावरण वाला ग्रह सौंपने जा रहे है?")
Q.7.
According to Mr Lester R. Brown, what are earth's principal biological systems
?
(मिस्टर लेस्टर आर० ब्राउन के अनुसार पृथ्वी के मुख्य जैवीय सिद्धान्त (प्रक्रिया) क्या है?)
Ans. According to Mr Lester R. Brown, the earth's
principal biological systems are four -fisheries, forests, grassland and
croplands - and they form the foundation of the global economic system. These
four systems are the main provider of raw materials for industry.
(श्रीमान लेस्टर आर० ब्राउन के अनुसार, पृथ्वी की मुख्य जैविक प्रणालियाँ चार हैं-समुद्री जीव-जन्तु, वन, घास के मैदान और कृषि भूमि-और वे भूमण्डलीय अर्थव्यवस्था के आधार की रचना करते हैं। ये चारों प्रणालियाँ उद्योग के लिए कच्चे माल की मुख्य प्रदानकर्ता हैं।)
Q.8. What
are the effects of unsustainable level of these systems ?
(इन प्रक्रियाओं/सिद्धान्तों के अरक्षणीय स्तर के क्या प्रभाव हैं?)
Ans. In large areas of the world, human claims on these
biological systems are reaching an unsustainable level, a paint where their
productivity is being impaired. The effects seems as fisheries collapse,
forests disappear, grasslands are converted into barren wastelands and
croplands deteriorate.
(संसार के बहुत बड़े भाग पर इन जैविक प्रणालियों पर मानव का दावा विनाश के स्तर तक पहुंच चुका है, एक ऐसा बिन्दु जहाँ पर उनकी उत्पादकता अपंग हो रही है। प्रभाव दिखाई देते हैं जैसे कि मछली (समुद्री जीव जन्तु) उत्पादन गिर जाता है, वन लुप्त हो जाते हैं, हरे घास के मैदान बंजर जमीन में बदल जाते हैं और कृषि भूमि का हास हो जाता
Q.9.
Explain: "What goes under the pot now casts more than what goes inside
it."
(वर्णन कीजिए : "What goes under the pot now casts more
than what goes inside it. )
Ans. "What goes under the pot now costs more than
what goes inside it" means that in many of the countries fuelwood's demand
has reached to the extreme level. Basically, what is being cooked, is more
important and costly in comparison of other supportive objects but now the wood
which is used for burning and cooking the food, seems more costly which is
undigestible.
("जो बरतन में पक रहा है उसकी तुलना में जो बरतन के नीचे है(लकड़ी), वह महँगी हैं" अर्थात् अनेक देशों में जलाने के लिए लकड़ी की माँग अपने सर्वोच्च स्तर तक पहुंच चुकी है। मूलतः जो पकाया जा रहा है, ज्यादा महत्त्वपूर्ण और महँगा होता है तुलना में दूसरे सहायक वस्तुओं के परन्तु अब जो लकड़ी जलाने और पकाने में प्रयोग होती है, ज्यादा महँगी जान पड़ती है जो कि हजम करने के लिए मुश्किल है।)
Q.10. What
is the world's ancient patrimony?
(विश्व की प्राचीन विरासत क्या है?)
Ans. The world's ancient patrimony is 'tropical
forests.' This extremely precious ancient patrimony is eroding at the rate of
forty to fifty million acres a year, which in unexpectedly more in the
realistic datas.
(विश्व की प्राचीन विरासत है 'उष्ण कटिबन्धीय वन' हैं। यह अत्यधिक बेशकीमती प्राचीन विरासत चालीस से पचास मिलियन एकड़ प्रति वर्ष की दर से नष्ट हो रही है, जो कि अप्रत्याशित रूप से वास्तविक आँकड़ों में और ज्यादा है।)
Q.11. What
does the World Bank estimate about the fulfilment of fuel wood demand ?
(जलाने योग्य लकड़ी की मांग को पूरा करने के लिए विश्व बैंक का क्या अनुमान है?)
Ans. The World Bank estimates that a five-fold increase
in the rate of forest planting is needed to cope with the expected fuelwood
demand in the year 2000.
(विश्व बैंक अनुमान लगाता है कि सन् 2000 में अनुमानित जलाऊ लकड़ी की माँग का सामना करने के लिए वन लगाने की दर में पाँच गुणा बढ़ोतरी करने की जरूरत है।)
Q.12. What
does the article 48 A of the constitution provide ?
(संविधान का अनुच्छेद 48 क क्या कहता है?)
Ans. Article 48A of the Constitution of India provides
that "the state shall endeavor to protect and improve the environment and
to safeguard the forests and wildlife of the country."
(संविधान का अनुच्छेद 48क यह प्रावधान देता है कि “राज्य देश के पर्यावरण को बचाने और रक्षा करने को प्रयत्न करेगा और देश के जंगलों और वन्य जीवों को बचाने का प्रयत्न करेगा।")
Q.13. How
much area of forest is India losing every year?
(प्रत्येक वर्ष भारत कितना वन क्षेत्र खोता जा रहा है?)
Ans. According to reliable data, India is losing its
forests at the rate of 3.7 million acres a year. But the actual loss of forests
is estimated to be about eight times the rate indicated by government
statistics.
(विश्वसनीय आँकड़ों के अनुसार, भारत अपने जंगलों को 37 लाख एकड़ प्रतिवर्ष की दर से खोता जा रहा है। परन्तु जंगलों का वास्तविक घाटा सरकारी आंकड़ों से आठ गुणा अधिक आंका गया है।)
Q.14. What
increase in the population did we see in 1900 ?
(सन् 1900 में जनसंख्या में कितनी वृद्धि हमने देखी?)
Ans. In 1900, the increase in the population was a
billion. The first billion to the world's population was added up to year 1800
and then in the year 1900, total population of the world was 2 billions.
(सन 1900 में जनसंख्या में वृद्धि एक बिलियन (सौ करोड़)थी। दुनिया की जनसंख्या में पहला बिलियन सन 1800 तक जुड़ गया था। और फिर सन् 1900 में, दुनिया की कुल आबादी 2 बिलियन हो गयी थी।)
Q.15. What
is the best contraceptive and how ?
(सर्वश्रेष्ठ गर्भनिरोधक क्या है और कैसे?)
Ans. Development is the best contraceptive as fertility
falls as income rise, education spreads and health improves. But development
itself may not be possible if the present increase in numbers continues.
(विकास ही सबसे अच्छा गर्भनिरोधक है जैसे कि आय बढ़ती है, सन्तानोत्पत्ति की दर गिरती है, शिक्षा का प्रसार होता है और स्वास्थ्य में सुधार होता है। परन्तु यदि वर्तमान जनसंख्या बढ़ती जाएगी तो विकास संभव नहीं हो सकेगा।)
Q.16.
According to the text, what should be given the topmost priority ?
(अध्याय के अनुसार किसको सर्वाधिक प्राथमिकता देनी चाहिए?)
Ans. Population control should be given the topmost
priority. It is so because the root of every problem as illiteracy,
unemployment, crime, depletion of natural resources etc. is growing population.
Element of coercion should also be introduced.
(जनसंख्या वृद्धि को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। ऐसा इसीलिए है क्योंकि हर समस्या जैसे निरक्षरता, बेरोजगारी, अपराध, प्राकृतिक स्रोतों का ह्रास आदि की जड़ बढ़ती हुई जनसंख्या है। इसके लिए दबाव की रणनीति भी अपनायी जानी चाहिए।)
Q.17. What
is the passport of our future ?
(हमारे भविष्य के लिए अभय पत्र क्या है?)
Ans. 'The survival not just of the people but of the
planet'. The environmental problem does not necessarily signal our demise. It
is the passport for our future. It is a holistic view. Seeing the world as an
integrated whole rather than a dissociated collection of parts. Earth has its
own metabolic needs and vital processes which need to be respected and
preserved.
('केवल लोगों के अस्तित्व की नहीं बल्कि पृथ्वी के अस्तित्व की चिन्ता'। पर्यावरण की समस्या आवश्यक रूप से हमारी मृत्यु का संकेत नहीं देती। यह हमारे भविष्य के लिए अभय पत्र है। यह एक समूचा दृष्टिकोण है जो एक पारिस्थितिकी का दृष्टिकोण है जिसमें अलग-अलग भागों के संग्रह की अपेक्षा संसार को एक संगठित रूप से देखना है। पृथ्वी की अपनी उपापचयी सम्बन्धी आवश्यकताएँ हैं और महत्त्वपूर्ण प्रक्रियाएँ हैं जिनका सम्मान किया जाना चाहिए और सुरक्षित रखा जाना चाहिए।)
Q.18. What
was the view of the chairman of Du Pont ?
(Du Pont के अध्यक्ष का क्या नजरिया था?)
Ans. Chairman of Du Pont, Mr Edgar S Woolard's. view
was totally unique from others. He, five years ago, declared himself to be the
company's "Chief Environmental Officer." He said, "Our continued
existence as a leading manufacturer requires that we excel in environmental
performance."
(डू पोण्ट के चेयरमैन (अध्यक्ष) मि० एडगर एस० वूलार्ड का दर्शन (सोचना) दूसरों से बिल्कुल भिन्न था। उन्होंने पाँच वर्षों पहले स्वयं को कम्पनी का “मुख्य पर्यावरण अधिकारी" घोषित कर दिया था। उन्होंने कहा, "प्रमुख निर्माता के रूप में हमारा सतत अस्तित्व अपेक्षा करता है कि हम पर्यावरणीय कार्यों में बेहतर करके दिखाएँ।")
Q.19. What
were the words of Margaret Thatcher ?
(मारग्रेट थैचर के क्या शब्द थे?)
Ans. Margaret Thatcher's words were: "No
generation has a freehold on this earth. All we have a life tenancy-with a full
repairing lease." She further said, "We have not inherited this earth
from our forefathers; we have borrowed it from our children."
(मारग्रेट थैचर के शब्द थे: किसी भी पीढ़ी का पृथ्वी पर पूर्ण स्वामित्व नहीं है। हम सबको जीवन काश्तकारी के रूप में प्राप्त हुआ है और इस पट्टे की पूरी तरह से मरम्मत करने की जिम्मेदारी मिली है। वह आगे कहती हैं, "यह पृथ्वी हमें अपने पूर्वजों से पैतृक सम्पत्ति के रूप में नहीं मिली है-हमने इसको अपने बच्चों से उधार लिया है।")
Q.20.
Which movement does Nani Palkhivala refer to ?
(ननी पालखीवाला किस आन्दोलन की बात करते हैं?)
Ans. The author, Nani Palkhivala, refers to the Green
Movement'. It has become very popular among the people of all countries. It
started nearly twenty-five years ago but it has gripped the imagination of the
entire human race completely and quite rapidly. (लेखक ननी पालखीवाला ने हरित आन्दोलन को सन्दर्भित किया है। यह सभी देशों के लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हो गया है। यह लगभग 25 साल पहले शुरू हुआ था लेकिन इसने पूरी मानव जाति की कल्पना शक्ति को पूरी तरह और काफी तेजी से पकड़ लिया है।)
Q.21.
"What goes under the pot now cost more than what goes inside it"
Explain it.
(व्याख्या करो)
Ans. This statement means that with growing population
and rapid global development, the cost of food has touched new heights.
Amazingly, the cost of cooking fuel has overtaken that of food grains, fish,
meat and vegetables. As a result, the fuel required to cook, such as gas,
firewood and electricity, now costs more than the raw food.
(इस कथन का अर्थ है कि बढ़ती जनसंख्या और तेजी से विश्वव्यापी विकास के साथ, भोजन की कीमत ने नई ऊंचाइयों को छू लिया है। आश्चर्यजनक रूप से खाना पकाने के ईंधन की कीमत खाद्यान्न, मछली, मांस, और सब्जियों से आगे निकल गई है। इसके परिणामस्वरूप, गैस, लकड़ी और बिजली जैसे खाना पकाने के लिए आवश्यक ईंधन की कीमत अब कच्चे भोजन की तुलना में अधिक है।)
Q.22. What
do we need to plant more forests in India?
(भारत में और वन लगाने की आवश्यकता क्यों है?)
Ans. Over-fishing may lead to stripping of fisheries.
Then man will lose a rich source of protein. The decimation of forests will
harm ecology. Moreover, several species of life that live in forest will face
extinction.
(अधिक मछलियाँ पकड़ने से मत्स्य पालन पर रोक लग सकती है। तब मनुष्य प्रोटीन का एक समृद्ध स्रोत खो देगा। वनों के क्षय से पारिस्थितिकी को नुकसान होगा। जंगल में रहने वाली जीवन की कई प्रजातियों को विलुप्त होने का सामना करना पड़ेगा।)
Q.23. How
can over-fishing and decimation of forests prove harmful?
(अत्यधिक मछली पकड़ना और वनों का कटान हानिकारक किस प्रकार है?)
Ans. According to official data, India is losing its
forests at the rate of 3.7 million acres a year. The actual loss of forests is
estimated to be about eight times the rate indicated by government statistics.
Large areas, officially named forest land are already treeless. Moreover a
five-fold increase in the rate of forest planting is needed to cope up with the
expected fuelwood demand five years later.
(आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत एक साल में 3.7 लाख एकड़ वन हर वर्ष खो रहा है। वनों के वास्तविक नुकसान की दर सरकारी आंकड़ों से लगभग 8 गुना अधिक है। आधिकारिक तौर पर वन भूमि के नाम से जाने वाले बड़े क्षेत्र पहले से ही पेड़रहित हैं। पाँच वर्ष पश्चात् ईंधन की अपेक्षित आवश्यकता को पूरा करने के लिए अतिरिक्त पाँच गुना वृक्ष लगाना आवश्यक है।)
Long Answer
Type Questions
Q.1.
Describe the concept of sustainable development.
(रक्षणीय विकास के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।)
Ans. The concept of sustainable development was
popularized in 1987 by the World Commission on Environment and Development. In
its report it defined the idea as "development that meets the needs of the
present, without compromising the ability of future generations to meet their
needs" that is without stripping the natural world of resources future
generation would need.
(सन् 1987 में पर्यावरण और विकास के विश्व आयोग ने ऐसा विकास जो स्थायी गति से चलता रहे के विचार को लोकप्रिय बनाया। अपनी रिपोर्ट में उसने इस विचार को परिभाषित किया कि “विकास जो बिना भावी पीढ़ियों की आवश्यकताओं को पूरा करने की योग्यता से समझौता करके वर्तमान की आवश्यकताओं को पूरा करे।" अर्थात् संसाधनों की प्राकृतिक दुनिया से आने वाली पीढ़ियों को बिना वंचित किए हुए जिनकी उन्हें आवश्कता होगी।)
Q.2.
Describe four principal biological systems and their role.
(चार मुख्य जैवीय प्रक्रियाओं की व्याख्या कीजिए और उनके कार्य बताइए।)
Ans. Mr Lester R.Brown in his thoughtful book, 'The
Global Economic Prospect' points out that the earth's principal biological
systems are four-fisheries, forests, grasslands and croplands and they form the
foundation of the global economic system. In addition to supplying our food,
these four systems provide virtually all the row materials for industry except
minerals and petroleum-derived synthetics.
(मि० लेस्टर आर०ब्राउन अपनी विचारपरक पुस्तक, 'ग्लोबल इकॉनोमिक प्रोस्पेक्ट' में संकेत करते हैं कि पृथ्वी की जैविक प्रणालियाँ चार हैं-समुद्री जीव जन्तु, वन, घास के मैदान और कृषि भूमि-और ये भूमण्डलीय अर्थव्यवस्था के आधार की रचना करते हैं। हमारा भोजन उपलब्ध कराने के अलावा ये चार प्रणालियाँ खनिजों और पेट्रोलियम पदार्थों को छोड़कर उद्योगों के लिए वास्तविक कच्चा माल उपलब्ध कराते हैं।)
Q.3.
Explain the losing of forests and its reasons.
(वनों के समाप्त होने और उसके कारणों की व्याख्या कीजिए।)
Ans. In poor countries, local forests are being
decimated in order to procure firewood for cooking. In some places, firewood
has become so expensive that "what goes under the pot now costs more than
what goes inside it." In the words of Dr.Myres, "The tropical forests
are the powerhouse of evolution." Several species of life face extinction
as a result of its destruction It has been well said that forests precede
mankind; deserts follow. The world ancient patrimony of tropical forest is now
eroding at the rate of forty to fifty million acres a year, and the growing use
of dung for burning deprives the soil of an important natural fertilizer. So
the cutting of forests to acquire fuelwood is the main reason behind it.
(गरीब देशों में स्थानीय जंगलों का खाना पकाने के लिए जलाऊ लकड़ी के लिए सफाया किया जा रहा है। कुछ जगहों पर तो लकड़ी इतनी महंगी हो गई है कि बरतन के नीचे की चीज (लकड़ी) बरतन के अंदर (पकाई जाने वाली वस्तु) से अधिक महँगी है। डॉ० मेयर के शब्दों में "उष्ण कटिबन्धीय वन ऊर्जा के स्रोत है।" इनके विनाश के कारण अनेक जीव प्रजातियाँ लुप्त होने का सामना कर रही हैं। यह ठीक ही कहा गया है कि वन मानव से पहले आए और मरुस्थल बाद में। संसार के उष्ण कटिबन्धीय वनों की प्राचीन विरासत 4-5 करोड़ एकड़ प्रति वर्ष की दर से नष्ट हो रही है और जलाने के लिए गोबर की बढ़ती माँग धरती को एक महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक खाद से वंचित करती है। अत: ईंधन के लिए जंगलों का काटना इसके पीछे का मुख्य कारण है।)
Q.4. What
does article 48A say ? Explain with the given example.
(आर्टिकल 48 क क्या कहता है? उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।)
Ans. Article 48A of the Constitution of India says
that" the state shall endeavour to protect and improve the environment and
to safeguard the forests and wildlife of the county." For example,
constitution says that casteism, untouch ability and bonded labour shall be
abolished, but they flourish shamelessly even after fourty-four years of the
operation of the constitution.
(संविधान का अनुच्छेद 48क यह कहता है कि "राज्य पर्यावरण को बचाने और रक्षा करने का प्रयत्न करेगा और देश के जंगलों और वन्य जीवों को बचाने का प्रयत्न करेगा।" उदाहरण के लिए, संविधान कहता है कि जातिवाद, छुआछूत और बंधुआ मजदूरी खत्म हो परन्तु यह संविधान के लागू होने के 44 वर्षों बाद भी पूरी तरह से फल-फूल रही है।)
Q.5. What
is 'transcending concern' and what are its results?
(बढ़ती हुई स्थायी चिन्ता क्या है और इसके क्या परिणाम हैं?)
Ans. "Transcending concern' is about the survival
not just of the people but of the planet. It results that we have began to take
a holistic view of the very basis of our existence. The environmental problem
does not necessarily signal our demise, it is our passport for the future. The
emerging new world vision has ushered in the Era of Responsibility. It is a
holistic view, an ecological view, seeing the world as an integrated whole
rather than a dissociated collection of parts.
(सामान्य सीमा से परे (बढ़ती हुई) चिंता केवल लोगों के अस्तित्व की नहीं बल्कि पृथ्वी के अस्तित्व की चिंता के बारे में है। इसका परिणाम यह है कि हमने अपने अस्तित्व के वास्तविक आधार के समूचे दृष्टिकोण को लेना शुरू किया है। पर्यावरण की समस्या आवश्यक रूप से हमारी मृत्यु का संकेत नहीं देती, यह भविष्य के लिए हमारा पासपोर्ट (प्रवेश) है। संसार के नए दृष्टिकोण ने जिम्मेदारी के युग का आरम्भ कर दिया है। यह एक समूचा दृष्टिकोण है, अलग-अलग भागों के संग्रह की अपेक्षा संसार को एक संगृहीत रूप में देखना है।)
Q.6.
Explain the statements of Margaret Thatcher and Mr Lester R. Brown.
(Margaret Thatcher और Mr Lester R. Brown के वक्तव्यों की व्याख्या कीजिए।)
Ans. Margaret Thatcher diving the years of her Prime
Ministership, said, "No generation has a freehold on this earth. All we
have is a life tenancy wish a full repairing lease." She meant that we are
not free to do whatever we want to this earth, even we have to maintain this
earth and we have do cure and take care it whenever required. Mr Lester R.Brown
said, "We have not inherited this earth from our forefathers; we have
borrowed it from our children." This means that we should not have the
thinking of ownership for this earth but keep in mind that we have to
return/give this heritage to our children in its progressive form.
(मारग्रेट थैचर ने अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल में कहा, "किसी भी पीढ़ी का पृथ्वी पर पूर्ण स्वामित्व नहीं है। हम सबको जीवन काश्तकारी के रूप में प्राप्त हुआ है और इस पट्टे की पूरी तरह से मरम्मत करने की जिम्मेदारी मिली है। उनका मतलब था कि इस धरती के साथ हम जो चाहें वो करने के लिए हम मुक्त नहीं हैं, बल्कि हमें यह पृथ्वी सँभालनी है और हमें जब जरूरत हो इसका इलाज और देखभाल करनी है। मि० लेस्टर आर०ब्राउन ने कहा, "यह पृथ्वी हमें अपने से पैतृक सम्पत्ति के रूप में नहीं मिली है। हमने इसको अपने बच्चों से उधार लिया है। इसका अर्थ है कि हम यह विचार न रखें कि हम इस पृथ्वी के मालिक हैं बल्कि ध्यान में रखें कि हमें यह जायदाद अपने बच्चों को बढ़ाकर लौटानी है।")
Q.7. Why
does Nani Palkhivala call the earth 'The Ailing Planer ? How can the ailing
planet survive?
(ननी पालखीवाला पृथ्वी को बीमार ग्रह क्यों कहते हैं? बीमार ग्रह कैसे जीवित रह सकता है।)
Ans. The signs of the earth connected with life
(necessary for staying alive) show that the earth is a patient in declining
health. Its deserts are advancing. Landscapes are being impoverished and
environment is ailing. Aerial photography using satellites has revealed that
the environment has deteriorated very badly in many parts of the world, in
fact, it has become critical in many of the eighty-eight countries investigated.
The concept of sustainable development and Green Movement can help the ailing
planet to survive. People must discharge their moral responsibility as stewards
of the planet and trustees of the legacy of the future generations. The
plundering of the natural resources should be controlled. These must be
preserved for the future generations.
(जीवन से जुड़े पृथ्वी के संकेत (जीवित रहने के लिए आवश्यक) बताते हैं कि पृथ्वी स्वास्थ्य में गिरावट की एक मरीज है। इसके रेगिस्तान बढ़ रहे हैं। भू-दृश्य खराब हो रहे हैं और पर्यावरण बीमार है। उपग्रहों का उपयोग करते हुए एक फोटोग्राफी से पता चला है कि दुनिया के कई हिस्सों में पर्यावरण बहुत बुरी तरह से खराब हो गया है, यह वास्तव में 88 देशों में से कई देशों की जांच में महत्त्वपूर्ण हो गया है। सतत् विकास और हरित आन्दोलन की अवधारणा बीमार ग्रह को जीवित रहने में मदद कर सकती है। लोगों को अपनी नैतिक जिम्मेदारी का निर्वहन करना चाहिए क्योंकि यह ग्रह और भविष्य की पीढ़ियों की विरासत के प्रबन्धक हैं। प्राकृतिक संसाधनों की लूट को नियन्त्रित किया जाना चाहिए। इन्हें भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जाना चाहिए।)
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