Class-10 
Hindi Term-2 
2021-2022


Chapter 12 लखनवी अंदाज़


लखनवी अंदाज़

- यशपाल

पाठ की रूपरेखा 

यूँ तो यशपाल ने लखनवी अंदाज़ व्यंग्य यह साबित करने के लिए लिखा था कि बिना कथ्य के कहानी नहीं लिखी जा सकती, परंतु एक स्वतंत्र रचना के रूप में इस रचना को पढ़ा जा सकता है। यशपाल उस पतनशील सामंती वर्ग पर कटाक्ष करते हैं, जो वास्तविकता से बेखबर एक बनावटी जीवन शैली का आदी है। कहना होगा कि आज के समय में भी ऐसी परजीवी संस्कृति को देखा जा सकता है।

पाठ का सार 

'लखनवी अंदाज़' नामक प्रस्तुत पाठ में लेखक ने ऐसे नवाब को वर्ण्य विषय बनाया है जो लेखक के समक्ष अपनी नवाबी का प्रदर्शन करते हुए खीरे की फाँकों को खाने की जगह सूंघकर रसास्वादन करता है और सूंघते हुए खीरे की एक-एक फाँक को खिड़की के बाहर फेंकता जाता है। ऐसा करके डकार लेकर वह तृप्त होने का नाटक करता है। उसके इस व्यवहार से लेखक सोचता है कि इस तरह तो बिना घटना, विचार और पात्रों के नई कहानी भी लिखी जा सकती है। 

लेखक की रेल यात्रा-लेखक अपनी मितव्ययी प्रवृत्ति के कारण सेकंड क्लास में यात्रा नहीं करना चाह रहा था। फिर यह सोचकर कि भीड़ से भी बच जाएगा, कहानी के संबंध में भी सोच सकेगा और उसे प्राकृतिक दृश्य खिड़की से देखने को मिल जाएँगे। अतः सेकंड क्लास का ही टिकट ले लिया। गाड़ी छूट रही थी, भागकर सेकंड क्लास के डिब्बे में चढ़ गया। लेखक को अनुमान था कि डिब्बा खाली होगा, लेकिन उसने देखा कि एक बर्थ पर लखनऊ के नवाबी अंदाज़ में एक सफ़ेदपोश सज्जन पालथी मारे बैठे हैं, जिनके सामने तौलिए पर दो चिकने खीरे रखे हुए हैं। लेखक का सहसा जाना उन्हें अच्छा नहीं लगा। नवाब साहब ने लेखक के प्रति कोई रुचि नहीं दिखाई और लेखक ने ही परिचय करने का प्रयास किया। लेखक ने उनकी तरफ से आँखें चुरा लीं। 

नवाब साहब का भाव-परिवर्तन-लेखक सामने बैठे नवाब साहब के बारे में सोचने लगा कि नवाब साहब ने किफ़ायत की दृष्टि से सेकंड क्लास का टिकट खरीदा होगा। अब उन्हें अच्छा नहीं लग रहा होगा कि कोई सेकंड क्लास में सफर करता हुआ उन्हें देखे। सफ़र का वक्त काटने के लिए खीरे खरीदे होंगे। लगता है अब उन्हें किसी के सामने खीरा खाने में संकोच लग रहा होगा। नवाब साहब खिड़की से बाहर देखते रहे और स्थिति पर विचार करते रहे। यकायक भाव-परिवर्तन करते हुए लेखक से खीरे का शौक फरमाने के लिए कहा। लेखक को नवाब साहब का यकायक भाव-परिवर्तन अच्छा नहीं लगा और लेखक ने शुक्रिया अदा करते हुए कहा-'किबला शौक फरमाएँ। 

नवाब साहब का खीरा काटना-नवाब साहब कुछ और देर खिड़की के बाहर देखकर कुछ निश्चय कर नीचे रखे पानी से भरे लोटे से खीरे को धोए, तौलिया से पोंछे, जेब से चाकू निकाला, उनके सिर काटे, गोदे, झाग निकाला, छीले और फाँके काटकर तौलिया पर करीने से रखे। नवाब साहब ने फाँकों के ऊपर जीरा मिला नमक और लाल मिर्च की सुर्सी बुरक दी। लेखक उनकी भाव-भंगिमा देखे जा रहा था। उनकी भाव-भंगिमा से लेखक को स्पष्ट हो रहा था कि नवाब साहब के मुँह में खीरे के रसास्वादन की कल्पना से ही पानी रहा है। एक बार नवाब साहब ने फिर लेखक की ओर देखा और कहा-वल्लाह, शौक फरमाएँ, लखनऊ का वालम खीरा है। नमक-मिर्च छिड़क दिए जाने पर ताजे खीरे की पनियारी फाँके देखकर लेखक के मुँह में भी पानी रहा था, लेकिन पहले पूछने पर इनकार कर चुके थे, इसलिए कुछ सोचकर आत्मसम्मान रखते हुए 'शुक्रिया' कहकर कहा-मेरी मेदा ज़रा कमज़ोर है, 'किबला शौक फरमाएँ।

नवाब साहब ने एक-एक फाँक बाहर फेंक दी-नवाब साहब ने नमक-मिर्च लगी खीरों की फाँक की ओर एक बार फिर देखा, फिर खिड़की के बाहर देखा। दीर्घ श्वास लिया। फिर एक-एक फाँक उठाई, होंठों तक ले गए, सूंघा, स्वाद के आनंद में पलकें मुँद गईं। मुँह में भर आए पानी को गले में उतार लिया और फाँकों को एक-एक करके सूंघकर बाहर फेंकते गए। उसके बाद तौलिए से हाथ और होंठ पोंछकर गर्व से लेखक की ओर देखा।

नवाब साहब की डकार-नवाब साहब खीरे सूंघकर और फेंककर हाथ-मुँह पोंछकर लेट गए मानो इस काम में वे थक गए हों। लेखक नवाबी प्रक्रिया को देखकर शर्म महसूस कर रहा था और सोच रहा था कि खीरों के प्रयोग की नई प्रक्रिया अच्छी ज़रूर कही जा सकती है किंतु क्या इस तरीके से उदर की तृप्ति हो सकती है। इसी बीच नवाब साहब को डकार आई और लेखक की ओर देखते हुए कहा-'खीरा लजीज होता है लेकिन होता है सकील, नामुराद मेदे पर बोझ डाल देता है।

लेखक को मिली प्रेरणा-नवाब साहब की डकार से लेखक के ज्ञान-चक्षु खुल गए और सोचा खीरे की सुगंध और स्वाद की कल्पना से पेट भर जाने का डकार सकता है तो बिना विचार, घटना और पात्रों के, लेखक की इच्छा मात्र से नई कहानी क्यों नहीं बन सकती?

 

अभ्यास प्रश्नोत्तर 

I. बहुविकल्पीय प्रश्न 

1. लेखक ने सेकंड क्लास का टिकट लिया। इसका उचित कारण कौन-सा नहीं है

(i) लेखक को अधिक दूर नहीं जाना था।

(ii) वह खिड़की से प्राकृतिक दृश्य देखना चाहता था। 

(iii) सेकंड क्लास का किराया कम था।

(iv) वह भीड़ से बचना चाहता था। 

 

2. लेखक को अनुमान था कि सेकंड क्लास का डिब्बा

(i) अच्छे लोगों से भरा होगा।

(ii) एकदम सुनसान होगा। 

(iii) उसमें केवल नवाब ही बैठे होंगे।

(iv) उसमें उसी के जैसे लोग ही होंगे। 

 

3. बर्थ पर पहले से बैठे व्यक्ति का संबंध इनमें से किससे था

(i) नवाब के खानदान से।

(ii) ज़मींदार के खानदान से। 

(iii) अवध के राजसी खानदान से।

(iv) मुगल खानदान से। 

 

4. लेखक का डिब्बे में आना नवाब साहब को अच्छा नहीं लगा। इस बात को लेखक ने कैसे महसूस किया

(i) नवाब साहब की बातों से

(ii) नवाब साहब की आँखों में आए असंतोष के भाव से 

(iii) नवाब साहब के अशिष्ट व्यवहार से

(iv) नवाब साहब के वहाँ से उठकर चले जाने से 

 

5. 'प्रतिकूल' शब्द का विपरीतार्थक शब्द कौन-से विकल्प में है

(i) उपकूल 

(ii) दुकूल 

(iii) अप्रतिकूल

(iv) अनुकूल

 

6. लखनऊ के खीरा-विक्रेता अन्य विक्रेताओं से अलग हैं। यह किस कथन से सत्य प्रतीत होता है? (i) वे ग्राहकों से कम मूल्य लेते हैं।

(ii) वे ग्राहकों को अधिक खीरा देते हैं। 

(iii) वे नमक-मिर्च की पुड़िया भी साथ दे देते हैं। 

(iv) वे ग्राहकों को अच्छा खीरे ही देते हैं। 

 

7. नवाब साहब की भाव भंगिमा से क्या प्रकट हो रहा था

(i) लेखक के प्रति उत्साहीनता का भाव

(ii) खीरे के स्वाद का आनंद 

(iii) खीरे जैसे साधारण वस्तु के प्रति अरुचि

(iv) मिर्च के तीखेपन का भाव 

 

8. 'मियाँ रईस बनते हैं'-लेखक के कथन में कौन-सा भाव निहित है

(i) नवाबी के प्रति सम्मान

(ii) नवाब के प्रति कृतज्ञता 

(iii) नवाब को उनके पिछले दिनों की याद दिलाना 

(iv) नवाब साहब की रईसी के प्रति व्यंग्य। 

 

9. लेखक खीरा खाना चाहता था, फिर भी उसने मना कर दिया, ऐसा क्यों?

(i) वह मुफ्त का खीरा नहीं खाना चाहता था। 

(ii) उसे खीरा सुपाच्य नहीं लगता था। 

(iii) लेखक द्वारा पहले इनकार करने को निबाहने का आत्मसम्मान बनाए रखने के कारण।

(iv) नवाब साहब द्वारा पहले लेखक के प्रति उत्साहन दिखाने के कारण। 

 

10. 'रसास्वादन' का उचित संधि-विच्छेद होगा?

(i) रसा + स्वादन 

(ii) रस + अस्वादन 

(iii) रसास्व + आदन 

(iv) रस + आस्वादन। 

 

11. नवाब साहब ने खीरे खाने का आनंद किस तरह लिया

(i) नमक-मिर्च के साथ खाकर

(ii) बिना नमक-मिर्च के खीरे खाकर 

(iii) खीरे की फांकों को सूंघकर

(iv) खीरे के मुलायम भाग को खाकर 

 

12. नवाब साहब खीरे की फॅाकों को खिड़की से बाहर फेंककर क्या दिखाना चाहते थे

(i) खीरा अति साधारण खाद्य-वस्तु है

(ii) खीरे की सेहत के लिए अनुपयुक्तता 

(iii) अपनी रईसी तथा नवाबी का प्रदर्शन

(iv) खीरा खाने की परंपरागत तरीके का अपमान 

 

13. लेखक ने निम्नलिखित में से किसके समक्ष सिर झुका लिया?

(i) नवाब साहब की खानदानी संस्कृति एवं कोमलता के समक्ष 

(ii) नवाब साहब के ज्ञान के समक्ष

(iii) नवाब साहब के खीरा-प्रेम के समक्ष 

(iv) नवाब साहब की ऊँची डकार सुनकर 

 

14. लेखक के ज्ञान चक्षु कैसे खुल गए

(i) खीरा खाने का नया तरीका देखकर

(ii) नवाब साहब का शिष्टाचार देखकर 

(iii) नवाब साहब की नाजुकता देखकर

(iv) बिना घटना, विचार और पात्रों के कहानी लिखने का नया आइडिया पाकर 

 

15. 'तहज़ीब, नफासत और नज़ाकत' निम्नलिखित में से किस प्रकार के शब्द हैं

(i) तत्सम 

(ii) तद्भव

(iii) आगत (विदेशी

(iv) देशज 

 

16. ट्रेन के एक डिब्बे में चढ़ने के बाद उसमें एक सफेदपोश सज्जन को देखकर लेखक ने आँखें क्यों चुरा लीं?

(i) सज्जन के उनसे संगति के लिए उत्साह नहीं दिखाने के कारण 

(ii) अपने शर्मीले स्वभाव के कारण

(iii) अपने आत्म-सम्मान की रक्षा के लिए 

(iv) () तथा () दोनों 

 

17. नवाब साहब की आँखों में आए असंतोष के भाव का कारण लेखक ने क्या समझा

(i) उनके एकांत चिंतन में खलल पड़ना

(ii) नई कहानी के संबंध में सोचने में व्यवधान पड़ना 

(iii) खीरे जैसे साधारण वस्तु का शौक रखने का पता चल जाना 

(iv) उपर्युक्त सभी

 

18. लेखक के अनुसार नवाब साहब ने खीरे क्यों खरीदे होंगे?

(i) किसी सहयात्री के साथ मिलकर खाने के लिए 

(ii) खीरे खाकर वक्त बिताने के लिए 

(iii) किसी को देने के लिए

(iv) खीरे वाले की आर्थिक मदद करने के लिए 

 

19. नवाब साहब ने लेखक को एकाएक संबोधित करते हुए क्या दिखाना चाहा?

(i) जैसे उन्होंने लेखक को अभी-अभी देखा हो। 

(ii) जैसे लेखक से उनका पुराना परिचय हो। 

(iii) जैसे वे लेखक से काफी लंबे समय बाद मिले हों। 

(iv) उपर्युक्त में से कोई नहीं 

 

20. नवाब साहब के खीरा खाने के प्रस्ताव से लेखक क्या जान गया?

(i) कि नवाब साहब अपनी शराफ़त के भ्रम को बनाए रखना चाहते हैं। 

(ii) कि नवाब साहब अपने फायदे के लिए मुझे आम लोगों की तरह व्यवहार करने के लिए बढ़ावा देना चाहते हैं।

(iii) कि नवाब साहब मुझे छोटा दिखाना चाहते हैं। 

(iv) () तथा () दोनों 

 

21. लेखक द्वारा नवाब साहब के खीरा खाने के प्रस्ताव को ठुकराने के बाद नवाब साहब ने क्या किया?

(i) खीरे को पानी से धोकर तौलिए से पोंछा 

(ii) खीरे के सिर काटकर और गोदकर उससे झाग निकाला। 

(iii) खीरे को छिलकर उसकी फाँकों को तौलिए पर सजाया।

(iv) उपर्युक्त सभी 

 

22. लखनऊ स्टेशन के खीरा बेचने वाले खीरे के साथ जीरा मिला नमक और पिसी हुई लाल मिर्च की पुड़िया क्यों देते हैं

(i) खीरे के इस्तेमाल का तरीका जानने के कारण 

(ii) खीरे का स्वाद बढ़ाने के लिए 

(iii) ग्राहक को अपने पास बार-बार बुलाने के लिए

(iv) अपने पास उपलब्ध जीरा, नमक तथा लाल मिर्च की खपत करने के लिए 

 

23. नवाब साहब द्वारा नमक-मिर्च लगी खीरे की फाँकों की ओर देखने के बाद खिड़की के बाहर देखकर दीर्घ निश्वास लेने का क्या कारण हो सकता है?

(i) खीरे की फाँकें खा पाने की मज़बूरी प्रकट करना 

(ii) अपनी घबराहट को नियंत्रित करने की कोशिश करना 

(iii) लेखक द्वारा उनके प्रस्ताव को ठुकराने के कारण उत्पन्न क्रोध का समन करना।

(iv) इनमें से कोई नहीं 

 

24. नवाब साहब द्वारा खीरे की फाँकों को सूंघकर एक-एक करके ट्रेन की खिड़की के बाहर फेंक देना उनकी किस

भावना को दर्शाता है

(i) कि वे खीरे जैसी तुच्छ चीज़ों का रसास्वादन खाकर नहीं सूंघकर करते हैं। 

(ii) कि वे खीरे जैसी चीज़ों को सूंघने लायक ही मानते हैं। 

(iii) कि वे लेखक के सामने अपनी रईसी का प्रदर्शन करना चाहते थे। 

(iv) () तथा () दोनों 

 

25. नवाब साहब को थकान क्यों हो गई जिसकी वजह से उन्हें लेटना पड़ा?

(i) लेखक से बात करने के कारण

(ii) लगातार बैठे रहने के कारण

(iii) खीरे की तैयारी एवं इस्तेमाल के कारण

(iv) उपर्युक्त सभी 

 

उत्तर

1. (iii) 2. (ii) 3. (i) 4. (ii) 5. (iv) 6. (iii) 7. (ii) 8. (iv) 9. (iii) 10. (iv) 11. (iii) 12. (iii) 13. (i) 14. (iv) 15. (iii) 16. (iv) 17. (iv) 18. (ii) 19. (i) 20. (iv) 21. (iv) 22. (i) 23. (i) 24. (iv) 25. (iii) 

 

II. विषय-वस्तु का ज्ञान बोध एवं अभिव्यक्ति आधारित प्रश्न (2 अंक)

1. बिना कथ्य के कहानी लिखना संभव नहीं है 'लखनवी अंदाज़' पाठ के आधार पर व्यंग्य स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर 'लखनवी अंदाज़' पाठ में नवाबों के समाप्त होते अस्तित्व और उनके दिखावा करने पर व्यंग्य किया गया है। खीरों को मात्र सूंघकर नवाब साहब का पेट भर जाना उनकी पीड़ा को भी प्रदर्शित करता है कि कभी इतने ठाट-बाट थे कि ऐसी सामान्य वस्तुओं को केवल सूंघने तक ही उपयोग में लाते थे। फिर खीरे बिना खाए सूंघकर फेंकना और डकार लेना कितना हास्यास्पद है। क्या सूंघने मात्र से पेट भर सकता है? यह उसी प्रकार असंभव है जैसे बिना कथ्य के कहानी लिखना। 

 

2. लोग यथार्थ को स्वीकार करने से क्यों डरते हैं?  

उत्तर सुख-सुविधाओं में जी रहे लोग अतीत के अस्तित्व को समाप्त होते देख डरते हैं कि अब समाज में उनको कोई नहीं पूछेगा, उनका वैसा सम्मान नहीं होगा। संभव है लोग उपहास करेंगे। इस कारण अभावों में रहकर व्यर्थ का नाटक करते हैं कि अभी हम किसी से कम नहीं हैं और यथार्थ को स्वीकार नहीं कर पाते। 

 

3. 'लखनवी अंदाज़' पाठ में नवाब साहब के बहाने नवाबी परंपरा पर व्यंग्य है। स्पष्ट कीजिए। उत्तर यह सत्य है कि भूखे व्यक्ति के सामने अच्छे-अच्छे भोजन की प्रशंसा करने मात्र से या कल्पना मात्र से पेट नहीं भरता। नवाब साहब का पेट सूंघने मात्र से भर जाता होगा-यह तथ्य लेखक की समझ से परे है। नवाबी ठसक तो नहीं रही यह तो सेकंड क्लास में यात्रा करने से पता चल गया, जो किफ़ायत की दृष्टि से की जा रही है। फिर जाने क्यों नवाब लोग नवाबी ठसक चले जाने पर भी झूठी शान क्यों दिखाते हैं, जिसका कोई महत्त्व नहीं है। 

 

4. नवाब साहब का खीरे खाने का आग्रह अस्वीकार करना लेखक को अनुचित लगा। क्यों

उत्तर नवाब साहब के छीले हुए खीरे करीने से रखे थे, जिन पर मिर्च और जीरा मिला नमक बुरक दिया गया था। जैसे-जैसे खीरे की फाँके पानी छोड़ रही थीं, वैसे-वैसे लेखक के मुँह में पानी रहा था। इस पर भी नवाब साहब लखनऊ का वालम खीरा बताकर प्रशंसा कर रहे थे। लेखक का भी मन उन्हें खाने के लिए ललचा रहा था। ऊपर से नवाब साहब आग्रह कर रहे थे। अवसर अपने अनुकूल था। ऐसी अनुकूल परिस्थिति में लेखक को नवाब साहब के खीरे खीने के आग्रह को अस्वीकार करना अनुचित लगा। 

 

5. लेखक ने नवाब साहब के खीरे खाने के आग्रह को क्यों नकार दिया था? जबकि लेखक के मुँह में पानी भर आया था। 

उत्तर (i) लेखक में स्वाभिमान की ऐंठ थी। (ii) नवाब साहब के अकस्मात् हुए भाव-परिवर्तन से लेखक चौंक गया कि नवाब साहब अपनी शराफ़त को बनाए रखने के लिए मुझे मामूली आदमी समझकर अपनी हरकत में लथेड़ लेना चाहते हैं। (iii) लेखक नवाब साहब का पहले ही खीरा खाने का आग्रह ठुकरा चुका था। उसे निभाने के आत्मसम्मान में लेखक ने दुबारा भी इनकार कर दिया। अतः अनुकूल परिस्थिति और खाने की इच्छा होते हुए भी लेखन ने नवाब साहब के खीरे खाने के आग्रह को नकार दिया। 

 

6. नवाब साहब के खीरे खाने के आग्रह में उनकी शराफ़त झकलती है। कैसे

उत्तर नवाब साहब में भी नवाबी ठसक तो है परंतु उसमें उदंडता, उच्छृखलता नहीं है। लेखक को सामने आया हुआ देखकर अपेक्षा करते हैं कि लेखक ही अपनी तरफ से पहल करें, किंतु लेखक के ऐसा करने से कुछ विचार कर स्वयं ही पहल करते हैं। यह उनका बड़प्पन है। नवाब साहब के खीरे खाने के आग्रह में केवल औपचारिकता नहीं है। एक बार के सामान्य आग्रह को लेखक के नकारने पर भी खीरों की प्रशंसा करते हुए पुनः गंभीरता से आग्रह करते हैं और प्रेरित करते हैं। इसमें उनकी सहज विनम्रता झलकती है। 

 

7. नवाब साहब ने संगति के लिए उत्साह नहीं दिखाया। हमने भी उनके सामने की बर्थ पर बैठकर आत्मसम्मान में आँखें चुरा लीं। यहाँ नवाब साहब लेखक की जो समानता दिखाई देती है, उसे चित्रित कीजिए। 

उत्तर नवाब साहब डिब्बे में लेखक की उपस्थिति को अपने एकांत चिंतन में विघ्न समझ असंतोष का भाव प्रकट करते हैं और सेकंड क्लास में सफ़र करते हुए लेखक को दिख जाना अपने लिए अच्छा नहीं मानते हैं क्योंकि उन्हें अपनी नवाबी पोल खुलती नज़र रही है। अतः नवाब साहब ने लेखक से संगति करने के लिए उत्साह नहीं दिखाया। लेखक भी सेकंड क्लास की यात्रा में उनकी उपस्थिति को अच्छा नहीं मान रहा है। वह भी उन्हें एकांत में नई कहानी के संबंध में सोच सकने में बाधा मान रहा है। लेखक को ऐसा लग रहा है कि नवाब मुझे भी सामान्य जन समझ रहे हैं और मुझसे दूरी बनाए हुए हैं। इस तरह लेखक के आत्मसम्मान को ठेस पहुँचती है। अतः वह भी अपनी आँखें चुरा लेता है। 

 

8. नवाब साहब और लेखक के व्यवहार के आधार पर किसे अच्छा ठहरा सकते हैं

उत्तर नवाब साहब और लेखक दोनों में आत्मसम्मान की ठसक है। नवाब साहब में अतीत के गौरव के कारण है तो वहीं लेखक नए कीर्तिमान का गौरव सामान्य रूप में ही प्राप्त करना चाहता है, उसमें ऐंठ है, अकड़ है। दोनों में अस्वाभाविकता है। नवाब साहब का कुछ समयोपरांत हृदय-परिवर्तन एवं व्यवहार परिवर्तन होता है, वह आदाब-अर्ज़ के साथ विनम्रतापूर्वक शराफ़त से खीरा खाने का आग्रह करता है किंतु लेखक व्यर्थ की ऐंठ को छोड़ना भी नहीं चाहता है। इस आधार पर नवाब साहब के भाव-परिवर्तन में सहजता है, विनम्रता है, सम्मान करने की भावना है। लेखक में कोई परिवर्तन नहीं है। अतः नवाब साहब अपेक्षाकृत व्यावहारिक रूप से अच्छे हैं। 

 

9. लेखक को नवाब साहब का मौन रहना भी अखर रहा था और बातें करना भी कचोटने लगा। क्यों? 

उत्तर लेखक को दोनों तरफ से उसका अहंकार कचोट रहा था। लेखक अपने सामने नवाब को महत्त्व नहीं देना चाहता था। इसलिए व्यावहारिक प्रक्रिया अभिवादन आदि से बचता रहा और अपेक्षा कर रहा था कि नवाब ही सलाम करे। जब नवाब ने कुछ सोचकर अभिवादन से संगति करने की पहल की तो ऐसा लगा कि लेखक नवाब को सामान्य समझ रहा है और ऐसे सामान्य से बातें करना उचित नहीं है। दूसरे नवाब साहब की इस पहल को लेखक शराफ़त का दिखावा समझ रहा था। अतः लेखक को नवाब साहब का मौन रहना और बातें करना दोनों ही अच्छा नहीं लगा। 

 

10. 'लखनवी अंदाज़' कहानी का उद्देश्य क्या है

उत्तर 'लखनवी अंदाज़' कहानी का उद्देश्य है-दिखावापूर्ण व्यवहार को गलत बताना तथा दिखावटी जीवन-शैली का त्यागकर वास्तविक जीवन जीने के लिए प्रेरित करना। लेखक बताना चाहता है कि आज नवाबों की नवाबी नहीं रही, पर वे अपनी नवाबी की ठसक के लिए सनक भरा व्यवहार करके स्वयं को जन-साधारण से ऊँचा समझते हैं। 

 

11. लेखक ने नवाब साहब के उपेक्षापूर्ण व्यवहार का जवाब कैसे दिया

उत्तर लेखक जब डिब्बे में आया तो उसने देखा कि सामने वाली सीट पर एक सफेदपोश सज्जन बैठे हैं। लेखक को आया देख उनकी आँखों में असंतोष का भाव उतर आया। उन्होंने संगति के लिए कोई उत्साह भी नहीं दिखाया। यह देख लेखक भी उनकी अनदेखी कर बाहर देखने लगा। 

 

12. 'लखनवी अंदाज़' पाठ के आधार पर नवाब साहब के स्वभाव के विषय में अपने विचार प्रकट कीजिए। 

उत्तर नवाब साहब लखनऊ के नवाबों के घराने से संबंधित सफेदपोश थे। हालाँकि वे नवाबी चली जाने पर भी उसके प्रभाव से मुक्त नहीं हो पाए थे। वे बात-बात में नवाबों जैसा प्रदर्शनपूर्ण व्यवहार करके स्वयं को दूसरों से ऊँचा समझते थे। उनके व्यवहार में एक सनक थी जो वास्तविकता से बहुत दूर थी। 

 

13. 'लखनवी अंदाज़' कहानी में निहित संदेश स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर 'लखनवी अंदाज़' कहानी में निहित संदेश यह है कि हमें यथार्थ में जीना चाहिए। हमें बनावटीपूर्ण जीवन-शैली या झूठा दिखावा करने की आदत छोड देनी चाहिए। हमें हर मनष्य को समान समझते हए उसकी ओर मित्रता का हाथ बढाना चाहिए तथा ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए, जिससे हम उपहास का पात्र बनकर रह जाएँ। 

 

14. 'लखनवी अंदाज़' पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक ने यात्रा करने के लिए सेकेंड क्लास का टिकट क्यों खरीदा? [CBSE Delhi 2019] 

उत्तर लेखक ने निम्नलिखित कारणों से सेकेंड क्लास का टिकट खरीदा

अधिक दूरी की यात्रा नहीं होने के कारणभीड़ से बचने के लिएएकांत में नई कहानी के बारे में सोचने के लिए

खिड़की से प्राकृतिक दृश्यों का आनंद लेने के लिए 

 

15. खीरा काटने में नवाब साहब की विशेषज्ञता का चित्रण अपने शब्दों में कीजिए।

[CBSE All India2019] 

उत्तर खीरों को धोना, पोंछना, सिरे काटकर-गोदकर झाग निकालना, फाँकें काटना, तौलिए पर सजाना, जीरा मिला नमक-मिर्च बुरकना आदि क्रियाकलाप नवाब साहब की विशेषज्ञता को प्रमाणित करने के लिए पर्याप्त हैं।